पटना 26 नवम्बर 2017, विधानसभा के आगामी सत्र को लेकर आज माले विधायक दल की बैठक हुई. बैठक विधायक दल के नेता काॅ. महबूब आलम के आवास पर हुई. जिसमें महबूब आलम के अलावा सत्यदेव राम, सुदामा प्रसाद, पार्टी की ओर से विधायक दल के प्रभारी व पूर्व विधायक राजाराम ंिसंह तथा विधायक दल के सचिव काॅ. उमेश सिंह ने हिस्सा लिया. बैठक में विधानसभा सत्र के दौरान सरकार को विभिन्न मोर्चों पर घेरने की रणनीति पर बातचीत हुई. माले विधायक दल ने कहा है कि विधानसभा के इस सत्र में बिहार में सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात की घटनाओं व दलित-गरीबों पर लगातार हो रहे हमले को प्रमुखता से उठाया जाएगा. इस बार दुर्गापूजा-मोहर्रम के अवसर पर राज्य के तकरीबन 17 जिले सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आए, और नीतीश सरकार तमाशा देखते रही. जब से भाजपा ने बिहार में सत्ता का अपहरण किया है, तब से इस तरह की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. भाजपा की कोशिश है कि कम तीव्रता का लेकिन व्यापक स्तर पर सांप्रदायिक उन्माद भड़काकर बिहार में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किया जाए. इस पर सरकार को घेरा जाएगा. गौगुंडों का आतंक भी यहां आरंभ हो चुका है. एक तरफ अल्पसंख्यक निशाने पर हैं, तो दूसरी ओर दलितों पर हमले में कोई कमी नहीं आई है. 25 नवम्बर की रात भागलपुर में सामंती-अपराधियों ने एक ही परिवार के तीन लोगों की बर्बरता से गला रेतकर हत्या कर दी. दलित-गरीबों पर लगातार बढ़ रहे हमले व अपराध की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि को सदन में प्रमुखता से उठाया जाएगा.
‘खुले में शौच से मुक्ति’ अभियान के तहत अब इस काम में शिक्षकों को भी लगा दिया गया है. जबकि पहले से ही उनपर कई तरह के भार हैं. खुले में शौच से मुक्ति अभियान आज पूरी तरह महिलाओं व गरीबों को बेइज्जत व अपमानित करने का अभियान बन गया है. अब गरीबों को बेइज्जत करने का दायित्व शिक्षकों को दे दिया गया है. यह बेहद निंदनीय है. शिक्षकों केा गैरशैक्षणिक कार्य से मुक्त करने और सभी गरीबों के लिए शौचालय निर्माण के लिए अग्रिम राशि मुहैया कराने तथा खुले में शौच से मुक्ति के नाम पर गरीबों-महिलाओं को अपमानित करना बंद करने का सवाल उठाया जाएगा. शिक्षकों के लिए समान काम के लिए समान वेतन भी मुद्दा होगा. आंदोलनरत एएनएम कर्मियों की मांगों को पूरा करने के लिए सदन के अंदर आवाज उठायी जाएगी. एक तरफ सरकार गरीबों को बेइज्जत करने का अभियान चला रही है, दूसरी ओर राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में शौचालय घोटाला का मामला प्रकाश में सामने आ रहा है. लेकिन इन घोटालों में केवल छोटी मछलियों को पकड़ रही है. राजनेता व अफसरों के गठजोड. के संरक्षण में ही इस तरह के घोटाले हो रहे हैं. सृजन के बाद शौचालय घोटाला ने बिहार सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की नीति की पोल खोल दी है. लेकिन इन सभी मामलों में सरकार केवल छोटी मछलियों को पकड़ रही है. हम इसके राजनीतिक संरक्षण की जांच की मांग के लिए आवाज उठायेंगे. विश्वविद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति मामले में भी भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है. सरकार ने धान खरीदने की तिथि की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी तक किसानों का कहीं भी धान नहीं खरीदा जा रहा है. बटाईदार सहित सभी किसानों की धान खरीद भी माले विधायकों का एक महत्वपूर्ण एजेंडा होगा.
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