भावी प्रौद्योगिकी विकास के लिए अनुसंधान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 27 नवंबर 2017

भावी प्रौद्योगिकी विकास के लिए अनुसंधान

industrial-development-experiment
कोलकाता, 27 नवम्बर, आईआईटी खड़गपुर संकाय ने रोचेस्टर विश्वविद्यालय और आईसीटीएस, बेंगलुरू के सहयोग से किये एक शोध में भावी प्रौद्योगिकी विकास के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। आईआईटी खड़गपुर ने इसे एक महत्वपूर्ण अनुसंधान बताते हुए आज एक बयान में कहा कि इसने बड़ी मात्रा में उपकरणों के विकास के लिए संभावनाओं को खोल दिया है। वर्ष 2016 में आईआईटी केजीपी में भौतिकी विभाग में शामिल हुई प्रोफेसर सजल धारा ने अपने सहयोगियों के साथ पोलारिटोन्स के कई नकारात्मक कणों की खोज की जो आधे प्रकाश और आधे पदार्थ से बने हैं। बयान के अनुसार रोचेस्टर विश्वविद्यालय में अपने सहयोगियों के साथ प्रो.धारा ने और आईसीटीएस (इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरिटकल साइंस) ने इस तरह के कणों में ऐसी नई खोज की जिससे भावी प्रौद्योगिकी विकास की ओर आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। यह अनुसंधान ‘नेचर फिजिक्स’ के अक्तूबर 2017 के अंक में छपा है।

कोई टिप्पणी नहीं: