मोदी-नितीश सरकार की नीतियां ग्रामीण गरीबों को भुखमरी में धकेल रही है : धीरेन्द्र - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 28 नवंबर 2017

मोदी-नितीश सरकार की नीतियां ग्रामीण गरीबों को भुखमरी में धकेल रही है : धीरेन्द्र

  • राशन-रोजगार-पेंशन और वास आवास-शौचालय को लेकर राज्य के 30 से ज्यादा अनुमंडलों पर जन असेंबली.
  • जमीन-मकान के साथ शौचालय निर्माण के लिए 50 हजार रुपये देने की मांग
  • राशन कार्ड में घूसखोरी-आधार का बहाना बनाकर राशन नही देने का आरोप

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पटना, 28 नवम्बर 2017, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा-खेग्रामस के तत्वावधान में आज राज्य के कई जिलों में राशन-रोजगार-पेंशन और वास आवास-शौचालय के मुद्दे पर असंवेदनशील बनी सरकार के खिलाफ जन एसेंबली लगायी गयी। दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, नालन्दा, पटना, चम्पारण, गया आदि जिलों में आयोजित जन असेंबली में जनता ने सालभर से पेंशन नही मिलने का आरोप लगाया, वही लोगों का यह भी कहना था कि आधारकार्ड के नाम पर गरीबों को राशन से वंचित किया जारहा है। दरभंगा में एक महिला ने कहा कि जमीन-मकान है ही नही, शौचालय कहां से बनाऊंगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के चलते बेटा की कमाई आधी हो गयी।र ाशन-पेंशन महीनों से बन्द है। एक दूसरी महिला ने कहा कि आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया जैसी स्थिति बन गयी है। खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव व माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा ने कहा कि दिल्ली-पटना की सरकारों की अमीर परस्त नीतियों और विकास मॉडल के चलते गांव के गरीबों में भुखमरी पसरती जा रही है-किसानी बदहाली में जा रही है। संसद-विधानसभाएं जनसरोकार से कट गई हैं। गरीबों के संविधान प्रदत्त अधिकार छीने जा रहे हैं और मोदी सरकार ढाई करोड़ गरीबों का नाम राशन सूची से काटने का जश्न मना रही है। समय आ गया है कि गांव के गरीब मजदूर और किसान संगठित होकर सरकारों को चुनौती दे कि विकास नीतियों के केंद्र में अम्बानी-अडाणी नही मजदूर किसानों को लाया जाए. 

जन असेंबली को चम्पारण में खेग्रामस अध्यक्ष बीरेंद्र गुप्ता और मसौढ़ी में राज्य सचिव गोपाल रविदास ने सम्बोधित किया. खेग्रामस ने तय किया है कि जन असेंबली में आयी जनता की बातों और प्रस्तावों को बिहार विधान सभा के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्रियों को सुपुर्द किया जायेगा। राज्यभर के कार्यक्रमों में दसियों हजार ग्रामीण गरीबों ने हिस्सेदारी कर अपनी बातें रखी। जनअसेंबली के दौरान मनरेगा में 200 दिन काम एवं 350 रु दैनिक मजदूरी, आवास के लिए 5डिसमिल जमीन और शौचालय युक्त पक्का मकान, प्रति माह राशन किरासन की गारंटी, बसे हुए जमीन का परचा और परचा वाली जमीन पर दखल, तत्काल बालू निकासी की गारंटी, 120 दिनों से बैठे निर्माण मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता आदि मांगों को भी उठाया गया.

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