एजल, 30 नवंबर, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि 1986 का मिजो समझौता वास्तव में एक चमत्कार था क्याेंकि उसने उस समय के उग्रवाद और संकट काे समाप्त करने में मदद की जिसकी वजह से देश तथा मिजो समाज विभाजित हो गया था। श्री कोविंद ने आज मिजोरम विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मिजो समझौता पूरे देश और दुनिया के लिए एक ‘बेहतरीन उदाहरण’ है। उन्होंने कहा, “मिजो समझौते का सभी पक्षों ने सम्मान किया और सभी पक्षों के राज्य और जनता के कल्याण के लिए मिलकर शांतिपूर्वक काम करने से उग्रवाद की स्थिति समाप्त हुई थी। यह हमारे समय में एक चमत्कार है। इससे हमें मिजोरम के सम्माननीय महिला-पुरुष के समाज काे अंतर्दृष्टि मिली।” गौरतलब है कि केन्द्र सरकार और लालडेंगा के नेतृत्व वाले मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के बीच 30 जून 1986 को मिजो समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे।
इससे पूर्वोत्तर राज्यों में 20 वर्षों से चले आ रहे उग्रवाद के अंत के साथ स्थायी शांति स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ था। लालडेंगा के नेतृत्व में 01 मार्च 1966 को एमएनएफ ने मिजोरम से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी और अगले 20 वर्षों तक भारतीय सेना के साथ उनका खूनी संघर्ष चलता रहा। इसके बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ मिजो समझौता हो जाने के बाद स्थिति मेें काफी सुधार अाया। श्री कोविंद ने राजनीतिक हितधारकों, सिविल सोसायटी और चर्चों के सामूहिक योगदान को चिरस्थायी शांति तथा विकास का श्रेय देते हुए कहा, “समझौता और इसकी विरासत भारत के लंबे इतिहास की सबसे बड़ी सफलता को दर्शाती है।” उन्होंने कहा कि हमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहावला के प्रयासों और उदारता की भावना के साथ-साथ लालडेंगा के दूरदर्शी नेतृत्व को भी याद करना चाहिए। श्री कोविंद कल यहां पहुंचे थे।
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