विशेष : एक नजर जय राम ठाकुर के व्यक्तिगत जीवन पर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

विशेष : एक नजर जय राम ठाकुर के व्यक्तिगत जीवन पर

Jayram thakur
शिमला (मीनाक्षी भारद्वाज), जय राम ठाकुर ने 26 साल की उम्र मे पहला चुनाव लडा। उनका परिवार नहीं चाहता था कि वे राजनीति में जाए। मंडी का सराज विधानसभा क्षेत्र विधानसभा को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है।इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत "मूराहग ,,के तांदी गांव में है भाजपा नेता जय राम ठाकुर का घर। 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और ब्रिकू देवी के घर जन्मे जय राम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा। परिवार में 3 भाई और 2 बहनें हैं। पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। जय राम ठाकुर तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं। इसलिएउनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जय राम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद बगस्याड़ से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वह मंडी आए। यहां बी ए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एम ए की पढ़ाई पूरी की। जय राम ठाकुर का परिवार नहीं चाहता था कि वह राजनीति में जाएं, लेकिन उन्होंने अपने दम पर राजनीति की बुलंदियों को छुआ है। जय राम ठाकुर को पढ़ा चुके अध्यापक लालू राम बताते हैं कि जय राम ठाकुर बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। अध्यापक भी यही सोचते थे कि जय राम ठाकुर किसी अच्छी पोस्ट पर जरूर जाएंगे। लेकिन अध्यापकों को यह मालूम नहीं था कि उनका शिष्य प्रदेश की राजनीति का चमकता सितारा बन जाएगा।

जब जय राम ठाकुर वल्लभ कालेज मंडी से बी ए की पढ़ाई कर रहे थे। तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। यहीं से शुरूआत हुई जय राम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की। जय राम ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। एबीवीपी के साथ-साथ वे संघ से भी जुड़े और कार्य करते रहे। घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया और 1992 में घर लौटे। घर लौटने के बाद वर्ष 1993 में जय राम ठाकुर को भाजपा ने सराज विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। जब घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया। जय राम ठाकुर के बड़े भाई बीरी सिंह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों ने जय राम ठाकुर को राजनीति में न जाकर घर मे खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी।क्योंकि चुनाब लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति इजाजत नहीं दे रही थी।

जय राम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा का चुनाव लड़ा। उस वक्त जय राम ठाकुर मात्र 26 वर्ष के थे। यह चुनाव जय राम ठाकुर हार गए। वर्ष1998 में भाजपा ने फिर से जय राम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा। इस बार जय राम ठाकुर ने जीत हासिल की और उसके बाद विधानसभा चुनाव में कभी हार का मुहं नहीं देखा। जय राम ठाकुर विधायक बनने के बाद भी अपनी सादगी से दूर नहीं हुए। जय राम ठाकुर ने विधायकी मिलने के बाद भी अपना वो पुश्तैनी कमरा नहीं छोड़ा जहां उन्होंने अपने कठिन दिन बिताए थे। जय राम ठाकुर अपने पुश्तैनी घर में ही रहे। हालांकि जय राम ठाकुर ने एक अलीशान बंगला बना लिया है और वह परिवार सहित वहां पर रहने भी लग गए है। लेकिन शादी के बाद भी जय राम ठाकुर ने अपने नए जीवन की शुरूआत पुश्तैनी घर से ही की।

वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डॉ. साधना सिंह के साथ शादी की। जय राम ठाकुर की दो बेटियां हैं। आज अपने बेटे को इस मुकाम पर देखकर माता का दिल फुले नहीं समाता। जय राम ठाकुर के पिता जेठू राम का गत वर्ष देहांत हो गया है। जय राम ठाकुर की माता ब्रिकू देवी ने बताया कि उन्होंने बिपरित हालात में अपने बच्चों की परवरिष की है। अब उनका सपना है कि जय राम ठाकुर प्रदेश का सीएम बने। जय राम ठाकुर एक बार सराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। जब जय राम ठाकुर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो भाजपा प्रचण्ड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। जय राम ठाकुर ने उस दौरान सभी नेताओं पर अपनी जबरदस्त पकड़ बनाकर रखी थी। पार्टी को एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । यही कारण है कि आज इस नेता का नाम शीर्ष पद को लेकर चला है। अब वह लगभग तय है। वह लगातार पांचवीं बार विधायक बने है।

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