नई दिल्ली, 14 दिसम्बर, एसोचैम ने गुरुवार को सरकार से वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीए) विधेयक से एक खंड निकालने का आग्रह किया, जिसमें 'बेल इन' (जमानत) के लिए बैंक जमाकर्ताओं को भी अन्य लेनदारों और हिस्सेदारों की तरह ही माना जाएगा। एसोचैम के सचिव डी. एस. रावत ने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में, बेल इन की अवधारणा - खासतौर से जमाकर्ताओं द्वारा पूरी तरह से खत्म होना चाहिए और बैंकों में उनका पैसा हर कीमत पर सुरक्षित होना चाहिए। रावत ने कहा, "अन्यथा, बैंकिंग प्रणाली पर लोगों का भरोसा ही उठ जाएगा और लोगों की घरेलू बचत रियल एस्टेट, सोना, आभूषण और यहां तक कि असंगठित और अनौपचारिक वित्तीय बाजारों में जाने लगेगी, जिसे अनैतिक लोगों द्वारा संचालित किया जाता है।" एसोचैम के मुताबिक, बैंक जमाकर्ताओं में 'बेल इन' खंड के कारण बड़े पैमाने पर आतंक फैल गया है, जिसे भारतीय वित्तीय बाजार में पहली बार लागू करने की कोशिश की जा रही है।
बयान में कहा गया कि उद्योग मंडल ने सरकार से यह आश्वासन मांगा है कि वे बैंकों के बंद होने की हालत में जमाकर्ताओं की हितों की सुरक्षा करे। इस विधेयक में इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। रावत ने कहा कि मध्य वर्गीय परिवारों और खासकर पेंशनधारियों और बुजुर्गो के पास कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं होती, इसलिए उनके लिए बैंक में जमा रकम ही एकमात्र वित्तीय सुरक्षा होती है और उनके जीवन भर की बचत होती है। उन्होंने कहा, "बेल इन के पश्चिमी मॉडल को भारत में नकल करने के किसी भी कदम से बचा जाना चाहिए।"
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