ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध को सर्वोच्च न्यायालय की हरी झंडी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध को सर्वोच्च न्यायालय की हरी झंडी

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वाशिंगटन, 5 दिसंबर, सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश के तीसरे प्रारूप को मंजूरी दी है, जिसके तहत आठ देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध है। इन आठ देशों में छह मुस्लिम बहुल देश हैं। सीएनएन के मुताबिक, ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध का तीसरा प्रारूप सितंबर में जारी हुआ था, जिसमें आठ देशों चाड, ईरान, लीबिया, उत्तर कोरिया, सीरिया, वेनेजुएला, सोमालिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर विविध स्तर के प्रतिबंध लगाए गए हैं। यह पहला मौका है, जब न्यायाधीशों ने यात्रा प्रतिबंध के किसी प्रारूप को पूरी तरह हरी झंडी दिखाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने हस्ताक्षर किए बिना सोमवार को जारी आदेश के कारणों का खुलासा नहीं किया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने इस यात्रा प्रतिबंध के प्रारूप पर हवाई और मैरीलैंड के संघीय न्यायाधीशों द्वारा लगाई गई रोक हटा दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अदालत के आदेश का मतलब है कि ट्रंप प्रशासन इन आठ देशों के नागिरकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा सकता है। हालांकि, इन यात्रा प्रतिबंधों में भिन्नताएं हैं लेकिन अधिकतर मामलों में इन देशों के नागरिक स्थाई तौर पर अमेरिका में बस नहीं पाएंगे और कई अमेरिका में काम करने, पढ़ने या छुट्टियां बिताने भी नहीं जा पाएंगे। उदाहरण के लिए ईरान अपने नागरिकों को स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रमों के तहत अमेरिका भेज पाएगा, लेकिन इस तरह के यात्रियों को कड़ी जांच के बाद ही अमेरिका में प्रवेश मिलेगा। सोमालिया के नागरिक अमेरिका में नहीं बस सकेंगे लेकिन वे कड़ी जांच के बाद अमेरिका जा सकेंगे। अटॉर्नी जनरल जेफ सेशंस ने न्यायालय के इस फैसले को अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए वास्तविक जीत बताया। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता होगान गिडले ने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय के आज के फैसले से अचंभित नहीं है। हम इसे हमारे देश की सुरक्षा के लिए वैध और जरूरी समझते हैं।" हवाई मामले में जिला अदालत के न्यायाधीश ने इस यात्रा प्रतिबंध को लागू होने से रोक दिया था। सैन फ्रांसिस्को स्थित 9वीं यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स की तीन सदस्यीय समिति ने इस यात्रा प्रतिबंध पर लगी रोक के आदेश को आंशिक रूप से हटा दिया था।

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