पटना, 18 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद एवं भाकपा पूर्व राज्य सचिव कामरेड जलालुद्दीन अंसारी का निधन 17 दिसम्बर की रात्रि में उनके गया स्थित आवास पर हो गया। उनकी मृत्यु की खबर सुनते ही पार्टी सदस्यों, हमदर्दों, शुभ चिंतकों एवं राज्य की जनता में शोक की कहर फैल गयी। पार्टी के राज्य कार्यालय अजय भवन और राज्य के सभी जिला कार्यालयों पर उनके सम्मान में झंडे मुझका दिये गए। इनकी उम्र लगभग 75 वर्ष थी वे अरवल जिला के बैहराबाद गांव में 17 नवम्बर, 1942 को पैदा हुए थे। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। भाकपा महासचिव का॰ सुधाकर रेड्डी ने टेलीफोन से का॰ जलालुद्दीन अंसारी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। भाकपा राज्य सचिव का॰ सत्य नारायण सिंह सहित राज्य सचिवमंडल ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। आज राज्य कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में राज्य सचिव ने कहा है कि का॰ जलालुद्दीन अंसारी के निधन से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बिहार में वामपंथी आन्दोलन को बड़ी क्षति हुयी है। का॰ जलालुद्दीन अंसारी का सक्रिय राजनीतिक जीवन 1965-66 में बिहार के छात्र आंदोलन से शुरू हुआ। इसके पूर्व ही वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से 1960 में जुड गये थे। का॰ जलालुद्दीन अंसारी के नेतृत्व में 1965-66 का छात्र आन्दोलन कि ऐतिहासिक राजनीतिक घटना के रूप में याद किया जाता है। उन दिनों वे आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट फेडरेषन की बिहार इकाई के अध्यक्ष थे। इसी छात्र आन्दोलन की बदौलत बिहार में पहली बार कांग्रेस पार्टी सरकार से बाहर हो गयी।
पटना विष्वविद्यालय से स्नातक व कानून की पढ़ायी पूरी करके वे गया में वकालत करने लगे। उनकी राजनीतिक क्षमता और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए उन्हें गया जिला का पार्टी सचिव भी चुन लिया गया। तब से वे पार्टी के पूरावक्ती कार्यकत्र्ता के रूप में काम करने लगे। कुछ ही दिनों बाद वे पार्टी के राज्य नेतृत्व से जुड़ गए और उनकी राजनीति का केन्द्र पटना बन गया अपनी राजनीतिक और सांगठनिक क्षमता के बल पर वे कई वर्षों तक बिहार पार्टी के राज्य सचिव भी रहे। का॰ जलालुद्दीन अंसारी लंबे समय तक पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य भी रहे और बाद में वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी निर्वाचित हुए। उनका संबंध शोषित पीड़ित जनता के साथ-साथ किसानों से भी गहरा रहा। वे अखिल भारतीय किसान के के उपाध्यक्ष भी चुने गये। का॰ अंसारी 1994 से 2000 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। का॰ जलालुद्दीन अंसारी एवं बहुआयामी राजनीतिक नेता थे। पार्टी संगठन और माक्र्सवाद-लेनिनवाद के अच्छे जानकार थे। वे आजीवन समाजवाद की स्थापना के लिए चल रहे वामपंथी आन्दोलन के एक मूर्धन्य नेता थे। किसानों, मजदूरों, छात्रों, नव जवानों तथा अन्य शोषित-पीड़ित जनों के हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए सतत संघर्षरत रहे। इन संघर्षों के दौरान कई बार इन्हें जेल भी जाना पड़ा। समाज में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय के लिए इन्हें सदा याद किया जायेगा। वे वाम-जनवादी शक्तियों की एकता के लिए सदा प्रयासरत रहे। उनकी मृत्यु से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को भारी क्षति हुआ ही है, बिहार के वाम-जनवादी आन्दोलनों, किसानों, मजदूरों, छात्र, नौजवानों एवं मेहनतकष जनता के आन्दोलनों को भारी क्षति हुयी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें