'गुजरात मॉडल' दोषपूर्ण, राज्य को गांधी मॉडल की जरूरत : सैम पित्रोदा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 3 दिसंबर 2017

'गुजरात मॉडल' दोषपूर्ण, राज्य को गांधी मॉडल की जरूरत : सैम पित्रोदा

india-need-gandhi-model-sam-pitroda
नई दिल्ली, 3 दिसम्बर, वर्ष 1980 के दशक के मध्य तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के दौरान देश में शुरू हुए दूरसंचार क्रांति के अगुआ रहे सैम पित्रोदा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 'गुजरात मॉडल' का भांडाफोड़ करते हुए कहा है कि राज्य को नीचे से ऊपर जाने वाला ²ष्टिकोण अपनाने और ऊपर से नीचे जाने वाले तरीके त्यागने की जरूरत है, क्योंकि यह तरीका गरीब और हाशिए के लोगों की कीमत पर केवल बड़े उद्योगों के पक्ष में कार्य करता है। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले पित्रोदा ने  बताया, "गुजरात को विकास के गांधी मॉडल की आवश्यकता है, जो नीचे से ऊपर की तरफ जाता है। विकास का मूल्यांकन वैश्विक निवेशक सम्मेलनों में निवेश के रूप में आप कितने लाख रुपये या करोड़ रुपये का निवेश कर सकते हैं, इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बड़ी कंपनियों को नापसंद करते हैं, लेकिन आप गरीबों के लिए कुछ कर के गुजरात को बदल सकते हैं।" पित्रोदा इस समय अमेरिका के इलिनॉयस में रह रहे हैं। पित्रोदा ने सवालिया लहजे में कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के रूप में विकास के आंकड़े दिखते तो अच्छे हैं, लेकिन साधारण गुजराती के लिए इसका कितना मतलब है? पित्रोदा को गांधी परिवार के करीबी के रूप में जाना जाता है और हाल ही में उन्होंने राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दूरसंचार आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि राज्य को विकास की एक नई रूपरेखा की जरूरत है, क्योंकि अमीर और गरीब के बीच का अंतर बढ़ गया है। पित्रोदा ने पिछले महीने गुजरात का व्यापक दौरा किया था और विभिन्न समूहों से बात की थी।

उन्होंने गुजरात में शासन के वैकल्पिक फेरबदल के बारे में कहा, "अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की तर्ज पर गुजरात में भी एक सलाहकार परिषद की स्थापना की जाएगी। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग-1) 2004 के समय किया गया था। जो संप्रग-2 (2009-14) के दौरान भी समतावादी विकास मॉडल के तहत सरकार को मार्गदर्शन देने के लिए बनी रही।" 75 वर्षीय पित्रोदा ने पिछले दिनों अहमदाबाद, गांधीनगर, राजकोट, सूरत और जामनगर में किसानों, दलितों, महिलाओं, मछुआरों, व्यापारियों और गैर-सरकारी संगठनों से मुलाकात की थी और उनकी समस्याओं पर विस्तृत बातचीत की थी। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (2005-09) के अध्यक्ष रह चुके पित्रोदा ने कहा कि गुजरात के लोगों के बीच बहुत असंतोष है। 

पित्रोदा ने कहा कि गुजरात दौरे के दौरान उन्हें राज्य में शिक्षा का व्यापक पैमाने पर निजीकरण देखने को मिला। खास तौर से इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा गुजरात में बहुत महंगी हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि चिकित्सा शिक्षा में 80 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी सरकारी डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। हर साल 4,500 डॉक्टर निकलते हैं, उनमें से केवल 500 ही ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं। इस तरह के बंधनों से बचने के लिए शेष चिकित्सक 10 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान जुर्माने के रूप में करते हैं। महिलाओं की गंभीर स्थिति का जिक्र करते हुए पित्रोदा ने कहा कि वे अपने ऊपर हुए किसी भी अत्याचार के लिए कागज पर प्राथमिकी दर्ज नहीं करातीं। वे अपने अधिकारों से अवगत नहीं हैं। ग्रामीण इलाकों में, महिलाओं को पानी लाने के लिए चार-पांच किलोमीटर तक जाना होता है। राज्य में चार लाख कामकाजी महिलाएं हैं, जिनके पास रहने के लिए चमुचित जगह नहीं है।

उन्होंने कहा, "वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रतिकूल प्रभाव के कारण व्यापारी और छोटे व मध्यम उद्यमियों का कारोबार बुरी हालत में पहुंच गया है। बैंक उन्हें ऋण नहीं दे रहे हैं। बैंक बड़ी कंपनियों को ऋण देने के लिए तैयार हैं, लेकिन छोटे उद्यमियों को नहीं। उनका ध्यान टाटा मोटर्स जैसी बड़ी परियोजनाओं पर है।" पित्रोदा ने कहा, "किसानों की शिकायतें हैं कि उनकी उपजाऊ जमीन चंद मुआवजा देकर ले ली जाती है। उसके बाद वहां कोई उद्योग नहीं लगाया जाता। स्थानीय समाज के लिए आर्थिक लाभ की कोई योजना नहीं है।" पित्रोदा ने गिफ्ट (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी)) के मामले का हवाला देते हुए कहा, "जिसका क्षेत्रफल बहुत बड़ा है, लेकिन वहां सिर्फ कुछ कार्यालय भवन ही हैं।" उन्होंने पाटीदार, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित जाति के नेताओं का साथ देने के लिए कांग्रेस की आलोचना कर रही भाजपा के तर्क को भी खारिज कर दिया और कहा कि "इसमें कुछ गलत नहीं है। क्योंकि लोकतंत्र में प्रत्येक समूह का एक मतदाता वर्ग है, जिसे अधिकार है कि उसकी बातें सुनी जाएं और उनकी शिकायतें हल की जाएं। उनकी तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। आखिर पाटीदारों या अन्य समूहों के साथ गठजोड़ करने में गलत क्या है?" उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ, खासतौर से राहुल गांधी के मंदिर दर्शन, इंदिरा गांधी के दशकों पूर्व हुए मोरबी के दौरे के खिलाफ भाजपा की बयानबाजी की निंदा की। उल्लेखनीय है कि दशकों पहले एक बांध दुर्घटना के बाद मोरबी पहुंचीं इंदिरा गांधी ने मानव शव और पशुओं के शवों से आ रही दरुगध से बचने के लिए नाक ढक लिया था। पित्रोदा ने कहा, "ये सब मुद्दे नहीं हैं। ये लोग गैर-मुद्दों की तरफ लोगों का ध्यान खींचना चाह रहे हैं।"

कोई टिप्पणी नहीं: