पटना 21 दिसम्बर, पटना उच्च न्यायालय ने मगध विश्वविद्यालय के 21 प्राचार्यों की नियुक्त रद्द किये जाने का आदेश देते हुए उनके खिलाफ चल रही निगरानी जांच को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति ए के त्रिपाठी और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने डा. सुनील सुमन और अन्य की ओर से दायर छह से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया। याचिका में पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की एकल पीठ के 12 सितम्बर 2014 के 21 प्राचार्यों की नियुक्ति को निरस्त करने के आदेश को चुनौती दी गयी थी। एकल पीठ के आदेश में नये प्राचार्योँ की नियुक्ति तक इन प्राचार्योँ को कार्य करते रहने की अनुमति भी दी गयी थी, लेकिन उनके वित्तीय अधिकार समाप्त कर दिये गये थे। उच्च न्यायालय में दायर याचिका में नियम के विरूद्ध और कई तरह की धांधली को लेकर प्राचार्यों की नियुक्ति को चुनौती दी गयी थी। सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कहा कि 02 मार्च 2012 को मगध विश्वविद्यालय के अधीन 21 महाविद्यालयों के प्राचार्यों की नियुक्ति के संबंध में कई तरह की शिकायतें सरकार को मिली थी। उन्होंने कहा कि विधानसभा में भी 29 मार्च 2012 को ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मामला उठा था जिसके बाद मगध प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त को इसकी जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए बाद में राज्य सरकार ने इसकी जांच की जिम्मेवारी निगरानी को सौंप दी थी। श्री प्रताप ने कहा कि मगध विश्वविद्यालय में प्राचार्यों की नियुक्ति में हुयी गड़बड़ी का मामला उस अवधि का है जब बिहार सरकार से बिना विमर्श किये ही विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की गयी थी। अदालत ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए टिप्पणी की कि उच्च स्तर पर हुयी बहाली में इस तरह की धांधली होने पर न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकता।
शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017
पटना उच्च न्यायालय ने मगध वि.वि. के 21 प्राचार्यों की नियुक्ति रद्द की
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