बिजली सर्किट की तर्ज पर देश में जल सर्किट बनाए जाएं : गडकरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

बिजली सर्किट की तर्ज पर देश में जल सर्किट बनाए जाएं : गडकरी

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नयी दिल्ली 05 दिसंबर, केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने देश में बेहतर जल संरक्षण के लिए बिजली सर्किट की तर्ज पर जल सर्किट बनाये जाने की जरूरत पर आज बल दिया।  श्री गडकरी यहां दूसरे भारत जल प्रभाव सम्‍मेलन 2017 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए नदी संपर्क, बैराजों, बांधों, रबड़ के बांधों के निर्माण, ड्रिप और पाईप से सिंचाई की आवश्‍यकता पर भी ज़ोर दिया।  उन्होंने कहा कि देश में जल की उपलब्‍धता परेशानी नहीं है लेकिन हमें इसके प्रबंधन और संरक्षण के बारे में सीखना होगा। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की योजना उचित जल प्रबंधन के बिना हासिल नहीं की जा सकती है। श्री गडकरी ने कहा कि ड्रिप और पाइप के जरिए सिंचाई से पानी की बर्बादी कम होगी और यह किसानों के लिए किफायती होगी। उन्‍होंने कहा कि नदी संपर्क कार्यक्रम से तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्‍ट्र जैसे महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में जल की समस्‍या में कमी आएगी। इस मौके पर केंद्रीय पेयजल और स्‍वच्‍छता मंत्री उमा भारती ने कहा कि ‘अविरल और निर्मल गंगा’ के लक्ष्‍य को हासिल करने में सरकार के कार्यक्रम के अलावा आमजन की संकल्‍प शक्‍ति बहुत महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि चर्चा काफी हो गई हैं और यह समय कार्य करने तथा परिणाम हासिल करने का है। सुश्री भारती ने कहा कि वे चाहती हैं कि स्‍वच्‍छ गंगा से संबंधित सभी परियोजनाएं अगले साल अक्‍टूबर तक पूरी तरह से शुरू हो जाएं। इस अवसर पर गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्‍ययन केंद्र द्वारा तैयार ‘विजन गंगा’ शीर्षक के दृष्‍टि पत्र का भी विमोचन किया गया। ‘गंगा जल में परिवर्तन की बहुमूल्‍यता’ पर केंद्रित इस चार दिवसीय सम्‍मेलन का आयोजन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन के सहयोग से गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्‍ययन केंद्र, भारतीय प्रौद्याेगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने किया है। सम्‍मेलन के दौरान एकीकृत जल संसाधनों के प्रबंधन मॉडल को अपनाने की दिशा में बढ़ने के लिए जल क्षेत्र से जुड़े बड़े और छोटे मुद्दों पर चर्चा होगी। पहला सम्‍मेलन 2012 में आयोजित किया गया था।

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