बैंकिंग सुधार: 250 करोड़ से अधिक के ऋण होंगे सरकार के रडार पर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 24 जनवरी 2018

बैंकिंग सुधार: 250 करोड़ से अधिक के ऋण होंगे सरकार के रडार पर

banking-reform-loans-above-250-crores-will-be-on-the-government-s-radar
नयी दिल्ली 24 जनवरी, सरकारी बैंकों को गैर निष्पादित परिसंपत्तियों की समस्या से निजात दिलाने के उद्देश्य से भविष्य में 250 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण लेने वाले सरकार के रडार पर होंगे और उनकी कड़ी निगरानी की जायेगी।  वित्त मंत्री अरुण जेटली और राजस्व सचिव हसमुख अधिया की मौजूदगी में वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने आज यहां संवाददाताओं से चर्चा में छह सूत्री बैंकिंग सुधार एजेंडा पेश किया जिसका उद्देश्य बैंकों को भविष्य में एनपीए से निजात दिलाना और उनको प्रभावी एवं उत्तरदायी बनाना है। उन्होंने कहा कि बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बाद 250 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण की विशेष रूप से कड़ी निगरानी की जायेगी। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में बैंकों को पुनर्पूंजीकरण के तहत एक लाख करोड़ रुपये अधिक की अतिरिक्त पूूूंजी उपलब्ध करायी जा रही है जिसमें 8,139 करोड़ रुपये बजटीय सहायता के रूप में और 80 हजार करोड़ रुपये बौंड से जुटाये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त बाजार से 10,312 करोड़ रुपये जुटाये जा रहे हैं। इसके बाद बैंक पांच लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराने की स्थिति में हो जायेंगे और वे विकास में आ रही तेजी की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अब कंसोर्टियम में शामिल होकर एक बैंक ऋण राशि का अधिकतम 10 फीसदी राशि ही दे पायेगा और इसके साथ ही कंसोर्टियम में शामिल होने वाले बैंकों की संख्या भी कम होकर छह-सात की जा सकती है। श्री कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में घोषित सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण योजना को मूर्त रूप दे दिया गया है और बैंकों को सुधार के पथ पर चलना होगा। इसके लिए सुधार एजेंडा इनहैंस, एस्सेस एंड सर्विस एक्सिलेंस (ईएएसई) की रूप रेखा तय की गयी है जिसमें ग्राहक के प्रति उत्तरदायित्व के छह मूल विषय को शामिल किया गया है। इसमें उत्तरदायी बैंकिंग, ऋण बढोतरी तथा उद्यमी मित्र के रूप में सरकारी बैंक वित्तीय समावेशन, डिजिटलाइजेशन और ब्र्रांड सरकारी बैंक के लिए कार्मिकों को तैयार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि बैंकों को नये भारत के सपने को पूरा करने के लिए अपनी स्थिति बेहतर करनी होगी तथा उसे छोटे और मझौले उद्यम को सहयोग करना होगा ताकि अधिक से अधिक रोजगार सृजित हो सके। अब सरकार का जोर नागरिक सुविधाओं और छोटे कर्जाें पर अधिक है। इसके साथ ही बड़े कर्जदारों पर नकेल कसते हुये आम लोगों और छोटे ऋण लेने वालों की सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया गया है। सरकारी बैंकों को अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराये जाने के साथ ही उन्हें सुधार को अपनाने के लिए कहा गया है ताकि आम लोगों को सुविधा मिल सके।

कोई टिप्पणी नहीं: