महाबोधि मंदिर में बरामद बमों को किया गया निष्क्रिय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 21 जनवरी 2018

महाबोधि मंदिर में बरामद बमों को किया गया निष्क्रिय

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गया 21 जनवरी, भागवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बिहार में बोधगया के महाबोधि मंदिर परिसर को चार वर्ष बाद फिर से दहलाने के इरादे से छुपाकर रखे गये शक्तिशाली बमों को आज निष्क्रिय कर दिया गया। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि महाबोधि मंदिर परिसर से दो दिन पूर्व बरामद दो शक्तिशाली बमों को बम निरोधक दस्ते की टीम ने निरंजना नदी में निष्क्रिय कर दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के बम निरोधक दस्ते की निगरानी में बम को निष्क्रिय किया गया। बम के शक्तिशाली होने का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निष्क्रिय करने के दौरान इसकी धमक आसपास के क्षेत्रों में भी महसूस की गयी।  बमों को निष्क्रिय करने के दौरान पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद थे। इस दौरान ऐहतियात के तौर पर गया-बोधगया मार्ग को पूरी तरह से सील कर दिया गया था ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना न हो। बम की बरामदगी के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सुरक्षा एजेंसियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की।

पुलिस ने आशंका व्यक्त की है कि यदि दोनों बम महाबोधि मंदिर के गेट नंबर चार और इसी से लगे श्रीलंकाई मोनेस्ट्री के गेट के निकट सुबह पांच बजे धर्मगुरु दलाईलामा के प्रवचन के समय विस्फोट होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु हताहत होते। धर्मगुरू के प्रवचन के समय सैकड़ों की संख्या में देश-विदेश से आए बौद्ध धर्मावलंबी वहां उपस्थित रहा करते हैं। महाबोधि मंदिर परिसर में धर्मगुरू की सुरक्षा के लिए पहले से ही पुलिस और सामान्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती रहती है। ऐसे में इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि विस्फोट होता तो पुलिस और प्रशासन के कई अधिकारी इसकी चपेट में आ जाते। इस बीच वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गरिमा मलिक ने कहा कि बोधगया के महाबोधि मंदिर के निकट से दो जगहों से विस्फोटक बरामद हुए थे जिसे निष्क्रिय कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पुलिस की सक्रियता के कारण अपराधियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2013 में महाबोधि मंदिर परिसर में आतंकियों ने सुबह के समय बम विस्फोट की घटना को अंजाम दिया था जिसमें कई श्रद्धालु घायल हुये थे। इसके बाद से मंदिर परिसर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी और आने जाने वाले श्रद्धालुओं को भी गहन जांच बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है।

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