नयी दिल्ली, 08 जनवरी, केंद्र सरकार ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को अनिवार्य बनाये जाने के मामले में अपने रुख में बदलाव करते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा है कि वह सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को फिलहाल अनिवार्य न बनाये। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में आज दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि उसने अंतर मंत्रालयी समिति बनाई है, जो छह महीने में अपने सुझाव देगी। इसके बाद सरकार तय करेगी कि कोई अधिसूचना या सर्कुलर जारी किया जाये या नहीं। तब तक राष्ट्रीय गान को अनिवार्य करने संबंधी 30 नवंबर, 2016 के आदेश से पहले की स्थिति बहाल हो। इस मामले में कल सुनवाई होनी है। गौरतलब है कि 23 अक्टूबर, 2017 को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को कहा था कि सिनेमाघरों और अन्य स्थानों पर राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य हो या नहीं, इसे वह (सरकार) तय करे। इस संबंध में जारी कोई भी सर्कुलर न्यायालय के के अंतरिम आदेश से प्रभावित न हो। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि यह भी देखना चाहिए कि सिनेमाघर में लोग मनोरंजन के लिए जाते हैं, ऐसे में देशभक्ति का क्या पैमाना हो, इसके लिए कोई रेखा तय होनी चाहिए या नहीं? इस तरह की अधिसूचना या नियम का मामला संसद का है। यह काम न्यायालय पर क्यों थोपा जाए? यह मामला श्यामनाथ चौकसे की याचिका से जुड़ा है।
मंगलवार, 9 जनवरी 2018
सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के मामले में केंद्र ने बदला रुख
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