आर्यावर्त डेस्क,8 जनवरी,2018 (विजय सिंह) हम सब ने सप्लाई और डिमांड (मांग एवं आपूर्ति ) के सन्दर्भ में स्कूल कॉलेज में पढ़ा है. व्यापारिक नियमों के तहत मांग बढ़ने से कीमतें बढ़ती हैं,किताबों में पढ़ा है.परन्तु मांग के अनुरूप कीमत कितनी बढ़े,इस पर कहीं नहीं लिखा देखा.यानि लोकतंत्र के नाम पर उपभोक्ता हमेशा बेचारा ही रहा और व्यापारी शहंशाह. मुनाफा कमाने की भूख के अनुरूप व्यापारी उद्योगपति कीमतें बढ़ा सकते है,क्या हम यह मान कर चलें. अब इस मांग और आपूर्ति के खेल में सरकार भी सहभागी बन जाये तो उपभोक्ता किस दरवाजे जाये ? समिति ने माना है कि पर्व त्योहारों या नजदीक यात्रा तिथि में विमान कपनियां मूल भाड़े से 10 गुना से भी ज्यादा कीमतें वसूलती हैं. समिति के मुताबिक नियंत्रण मुक्त वातावरण को अनियंत्रित मनमानी किराया लूटने की आज़ादी नहीं दी सकती. निजी विमान कंपनियों के साथ साथ सरकारी एयर इंडिया भी भारी कीमत वसूलने में पीछे नहीं है. कल्पना कीजिये कि आप किसी रेस्टोरेंट में जाते हैं. आप वहां कहते हैं कि भाई बहुत भूख लगी है ,जल्दी से एक प्लेट इडली ले आओ. बिल देते वक्त आपसे 20 रुपये प्लेट इडली के बदले मांग बढ़ने की वजह से 100 रुपये का भुगतान करने को कहा जाये,तो आप क्या करेंगे ?
उपभोक्ता संतुष्टि सुधार संबंधी संसद की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार से देश में हवाई यात्रा टिकट की कीमतें और टिकट रद्द दर की सीमा तय करने की सिफारिश की है. पर्व त्योहारों और नजदीक यात्रा तिथि के वक्त विमान कंपनियों द्वारा दस गुना से भी ज्यादा टिकट कीमत वसूले जाने को अनैतिक और ग्राहकों के साथ नाइंसाफी बताते हुए इस पर रोक लगाने की अनुशंसा की है.समिति ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को उपभोक्ताओं के हित में अधिक क्रियाशील होने का भी सुझाव रखा है. अब विमान सेवा के साथ ही आम सवारी कही जाने वाली रेल यातायात भी काफी मंहगी हो गयी है."डायनामिक फेयर" के नाम पर स्लीपर क्लास का भाड़ा ही आम जन की पहुँच से बाहर है. ऐसे में मजबूरी में उपभोक्ता अधिक कीमत देने को मजबूर हैं.उस पर भी ज्यादातर समय कन्फर्म टिकट नहीं मिलने की परेशानी से आम आदमी कीमत देकर भी परेशानी में सफर करने को मजबूर है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे बेलगाम विमान टिकटों की पटरी पर अब भारतीय रेल भी चल पड़ी है. उम्मीद है उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए बनी संसद की स्थायी समिति हवाई यात्रियों के हितों के साथ रेल यात्रियों की भी सुध लेगी और सरकार को जनोपयोगी कदम क्रियान्वित करने की सिफारिश करेगी.
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