अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन) के नेता प्रबोध पांडा, जय किसान आंदोलन के प्रो. योगेन्द्र यादव, आशीष मितल, एन के शुक्लास सहित भाग लेंगे कई किसान नेता.
पटना 19 जनवरी, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर से कल दिनांक 20 जनवरी को पटना के अवर अभियंता भवन में विभिन्न किसान संगठनों द्वारा राज्यस्तरीय किसान मुक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया है. इस सम्मेलन में समन्वय समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व समन्वय समिति के बिहार राज्य प्रभारी राजाराम सिंह, जय किसान आंदोलन के संस्थापक प्रो. योगेन्द्र यादव, अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन) के नेता प्रबोध पांडा, आॅल इंडिया किसान मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव आशीष मितल, अखिल भारतीय किसान सभा के एन के शुक्ला आदि नेता भाग लेंगे. समन्वय समिति की ओर से बिहार के प्रभारी राजाराम सिंह ने बताया कि दिल्ली में 20-21 नवम्बर 2017 को किसान संसद का आयोजन किया गया था. किसान संसद में कई प्रस्ताव पारित किए गए थे. उसी आलोक में यह सम्मेलन हो रहा है. किसान संसद में पारित प्रस्तावों में फसलों के लागत मूल्य से डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने से संबंधित पहला प्रस्ताव था. इस सवाल को पूरे देश में किसान मुक्ति सम्मेलनों का आयोजन करके किसानों के बीच ले जाना है और व्यापक जनसमर्थन हासिल करते हुए किसानों की व्यापक गोलबंदी करनी है.
उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार एक तरफ कारपोरेट को दिए जाने वाले कर्ज के बड़े हिस्से को साल दर साल माफ करती जा रही है, तो दूसरी ओर केंद्र व उत्तरप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब की राज्य सरकारें घोषणा करके भी किसानों की कर्ज माफी नहीं कर रही हैं. वे किसानों के साथ लगातार छल कर रही हैं. घाटे की खेती का बड़ा बोझ छोटे-मंझोले किसानों-बटाईदारों-पट्टेदारों ने अपने कंधे पर संभाल रखी है. लेकिन उन्हें न तो सहायता, कर्ज अथवा सब्सिडी मिलती है, न ही उनके फसलों की सरकारी कीमत मिलती है. सिंचाई के छीजते संसाधनों व डीजल-बिजली की बढ़ी दरें खेती की लागत को और बढ़ा रही हैं. 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 5 हजार रु. प्रति माह वृद्धा पेंशन, बटाईदारों को पहचान पत्र व किसानों को मिलने वाली सारी सुविधायें मुहैया कराने, बाढ़-सुखाड़ का स्थायी निदान, कृषि कार्य के लिए मुफ्त बिजली, बंद पड़े नलकूपों को चालू कराने, बेघर परिवारों को आवास के लिए 5 डिसमिल जमीन देने आदि जैसे सवालों को भी किसान मुक्ति सम्मेलन में प्रमुखता से उठाया जाएगा.
बिहार के एक हिस्से में बाढ़ तो दूसरे हिस्से में सुखाड़ स्थायी परिघटना बने हुए हैं. इस वर्ष नीतीश सरकार बाढ़ प्रभावित 18 जिलों के लिए आवंटित फसल क्षति मुआवजा राशि की निकासी तक नहीं करवा सकी. ऐसी ही स्थिति में देश के 187 किसान संगठनों ने जंग की शुरूआत कर दी है और किसानों की कर्ज मुक्ति व फसलों की लागत का डेढ़ गुणा दाम के सवाल पर सहमति व राष्ट्रीय एकता बन चुकी है. सरकारों को हमारी मांगें माननी होगी. 20 जनवरी को आहूत किसान सम्मेलन में बिहार के विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में किसानों के शामिल होने की संभावना है.
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