नयी दिल्ली, 14 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत यात्रा पर आए इजरायल के प्रधानमंत्रयी बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदगी में तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हाइफा चौक करने की घोषणा के माैके पर हाइफा युद्ध में भारतीय जवानों के बलिदान को याद किया। हवाई अड्डे पर श्री नेतन्याहू की अगवानी के बाद श्री मोदी उन्हें लेकर सीधे तीन मूर्ति पहुुंचे और भारत और इजरायल की मैत्री को और प्रगाढ़ बनााने के लिए एक दूसरे के प्रति अपनी सदाशयता और सम्मान के प्रतीक स्वरूप प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इजरायल के हाइफा शहर को आजाद कराने में अपनी शहादत देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही तीन मूर्ति चौक का नाम बदलकर हाइफा चौक रखने की घोषणा की। इजरायल के हाइफा शहर के युद्ध में भारतीय सैनिकों की टुकड़ी ने तुर्क साम्राज्य और जर्मनी के सैनिकों से मुकाबला कर उन्हें शिकस्त दी थी। इस युद्ध में भारत के 44 सैनिक शहीद हुए थे। मोदी ने इस अवसर पर आगंतुक पुस्तिका में लिखा, ‘‘हाइफा में भारतीय सैनिकों के बलिदान के लिये इन पन्नों में से एक को 100 साल पहले ही लिखा जा चुका था। इस जगह का नाम तीन मूर्ति हाइफा चौक किया जाना इस ऐतिहासिक मौके की यादगार है। इस्राइल के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में, हम बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।’’ उन्होंने आगे लिखा ‘ हम निस्वार्थ बलिदान और तपस्या की महान भारतीय परंपरा को सलाम करते हैं।’
श्री नेतन्याहू ने भी इस अवसर पर भारतीय जवानों को नमन करते हुए आंगतुक पुस्तिका में उनके बलिदान पर अपने विचार व्यक्त किए। श्री नेतन्याहू के साथ उनकी पत्नी सारा और 130 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है। श्री नेतन्याहू की यह भारत यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इजरायल यात्रा के महज छह महीने बाद हो रही है हालांकि किसी इजरायली प्रधानमंत्री का यह 15 साल के लंबे अंतराल के बाद भारत आना हो रहा है। इससे पहले इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री ऐरेल शेरोन 2003 में भारत आए थे। भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंधों के 25 साल पूरे होने के अवसर पर हो रही श्री नेतन्याहू की इस यात्रा के अवसर पर दोनों देशों के बीच रक्षा, कृषि, व्यापार, साइबर अपराधों की रोकथाम तथा जल प्रबंधन के क्षेत्र में अहम करार होने की संभावना है। इसमें इजरायल के साथ 430 करोड़ रूपए का बराक मिसाइल सौदा सबसे अहम माना जा रहा है। उम्मीद है कि इस मिसाइल खरीद से भारत की नौसेना की युद्धक क्षमता में और इजाफा होगा।
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