नयी दिल्ली 22 जनवरी, भारतीय रेलवे ने बिना टिकट यात्रियों से रिश्वत लेकर उन्हें स्लीपर श्रेणी में यात्रा कराने संबंधी शिकायतों पर टिकट चेेकिंग स्टाफ के विरुद्ध विजीलेंस, रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) और वाणिज्यिक प्रबंधकों का एक संयुक्त अभियान छेड़ने के फैसले पर रेल यूनियन के दबाव में आज यू-टर्न ले लिया। रेल कर्मियों की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया रेलमेन्स फेडेरेशन (एआईआरएफ) के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा के अनुसार उन्होंने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी से मुलाकात करके इस मुद्दे पर बात की और श्री लोहानी ने आदेश को वापस लेने का आश्वासन दिया। रेलवे बोर्ड के इस आशय के निर्देशों से पूरे देश भर में टिकट चेकिंग स्टाफ के बीच हड़कंप मच गया है। दरअसल रेल मंत्री पीयूष गोयल को शिकायतें मिलीं थीं कि पश्चिम रेलवे की गाड़ियों में टिकट चेकिंग स्टाफ बिना टिकट यात्रियों से रिश्वत लेकर उन्हें स्लीपर श्रेणी के कोचों में यात्रा कराता है। रेलमंत्री ने इस शिकायत को बहुत गंभीरता से लिया और रेलवे बोर्ड के सदस्य (यातायात) मोहम्मद जमशेद को इस पर प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गत शुक्रवार को रेलवे बोर्ड में अतिरिक्त सदस्य (वाणिज्यिक) राजीव दत्त शर्मा ने सदस्य (यातायात) की ओर से एक परिपत्र जारी किया जिसमें सभी जोनल महाप्रबंधकों एवं मुख्य वाणिज्य प्रबंधकों को निर्देश दिये गये थे कि विजीलेंस, रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) और वाणिज्यिक प्रबंधकों का एक संयुक्त अभियान शुरू किया जाये जिसमें वे सादा वेषभूषा में स्लीपर श्रेणी के कोचों में यात्रा करें तथा यात्रियों से बातचीत करके ऐसे रिश्वत लेने वाले टिकट चेकिंग कर्मियों का पता लगाएं। सूत्रों के अनुसार परिपत्र में यह भी कहा गया है कि रिश्वत लेने वाले रेलकर्मियाें की शिकायत करने के लिये स्थापित नंबर 155210 का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाये। अखबारों में विज्ञापन देने के साथ साथ सभी मोबाइल नंबरों पर एसएमएस भेज कर तथा रेलवे स्टेशनों पर उद्घोषणाओं के माध्यम से लोगों को इस नंबर के प्रति जागरूक किया जाये कि अगर कोई रेलकर्मी रिश्वत मांगे तो उसकी शिकायत इस नंबर पर की जाये। इसके साथ ही टीटीई रनिंग रूम एवं लॉबी में नोटिस लगाये जायें कि अगर कोई रेलकर्मी रिश्वत मांगता या लेता पकड़ा जाएगा तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस परिपत्र के जारी होते ही रेलकर्मियों में खलबली मच गयी और उनकी यूनियनों ने इसे वापस लेने का दवाब डालना शुरू कर दिया है। श्री मिश्रा ने रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य (वाणिज्यिक) को एक पत्र लिखकर कहा कि रेल मंत्री को कुछ लोगों ने टीटीई की भूूमिका के बारे में गुमराह किया है। चेकिंग स्टाफ की कमी होने के बावजूद उनपर रेल अधिकारियों द्वारा राजस्व अर्जन के भारी भरकम लक्ष्य दिए जा रहे हैं जिसे पूरा करने में अत्यधिक परिश्रम करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि टिकट चेकिंग स्टाफ रेलवे के कमाऊ पूत हैं और उन्हें बदनाम करने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे वे हतोत्साहित होंगे और रेलकर्मियों में असंतोष पैदा होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकते हैं जिनके विरुद्ध कार्रवाई का कोई विरोध नहीं करता है। श्री मिश्रा ने बाद में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी से मुलाकात करके इस विषय को उठाया जिसके बाद श्री लोहानी ने उन्हें यह परिपत्र वापस लेने का आश्वासन दिया। सूत्रों के अनुसार देर शाम यह परिपत्र वापस ले लिया गया। श्री मिश्रा ने इसके लिये श्री लोहानी का आभार भी व्यक्त किया है।
सोमवार, 22 जनवरी 2018
भ्रष्ट टिकट चेेकिंग स्टाफ पर कड़ी कार्रवाई के फैसले पर रेलवे का यू-टर्न
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