आदिवासी समाज को उपेक्षित नहीं होने दिया जाएगा : भाभोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 1 जनवरी 2018

आदिवासी समाज को उपेक्षित नहीं होने दिया जाएगा : भाभोर

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नई दिल्ली, केन्द्रीय जनजाति राज्यमंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर ने कहा कि भारत के विकास में आदिवासी समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान है। आदिवासी समाज को साथ में रखकर ही विकास को परिपूर्ण आकार दिया जा सकता है। जहां कहीं भी आदिवासी समुदाय की उपेक्षा एवं उत्पीड़न होता है तो वह राष्ट्र के लिए पीड़ादायक है। वर्तमान सरकार आदिवासी समाज को उपेक्षित नहीं होने देगी।  श्री भाभोर 10 पंडित पंत मार्ग पर प्रख्यात जैन संत एवं आदिवासी जनजीवन के प्रेरणास्रोत गणि राजेन्द्र विजयजी की पुस्तक ‘आदिवासी सभ्यता और संस्कृति’ का लोकार्पण करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि गणि राजेन्द्र विजयजी जैसे संत इस राष्ट्र के लिए मार्गदर्शक हैं और वे आदिवासी समुदाय के जनजीवन के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उनकी पुस्तक से आदिवासी समुदाय को बल मिलेगा।  पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री मनसुखभाई वसावा ने कहा कि भारत को यदि शक्तिशाली एवं समृद्ध बनाना है तो आदिवासी जनजीवन को राष्ट्र की मूलधारा में लाना होगा। विकास की मौजूदा अवधारणा इसलिए विसंगतिपूर्ण है कि उसमें आदिवासी जनजीवन की उपेक्षा एवं उनके अधिकारों की अवहेलना की गयी है। एक संतुलित समाज रचना के लिए आज आदिवासी जनजीवन को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। 

गणि राजेन्द्र विजयजी ने कहा कि आज सबसे बड़ी अपेक्षा यह है कि आदिवासी अपना मूल्यांकन करना सीखे और खोई प्रतिष्ठा को पुनः अर्जित करे। यह कार्य राजनीति के आधार पर संभव नहीं है। इसके लिए संतपुरुषों एवं संस्कृतिकर्मियों को जागरूक होना होगा और एक सशक्त मंच बनाकर आदिवासी संस्कृति को जीवंत करना होगा। मेरी पुस्तक आदिवासी समाज की आवाज बनकर प्रस्तुत हो रही है। सांसद श्री रामसिंहभाई राठवा ने कहा कि आज आदिवासी समाज को जागरूक होने की जरूरत है। अक्सर उनका राजनीतिक शोषण होता रहा है। इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया। पुणे महाराष्ट्र से आये श्री राजू ओसवाल, पीस आॅफ इंडिया के श्री विशाल भारद्वाज, श्री गोपाल पहाड़िया, पार्षद श्रीमती सुशीला शर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की जीवनशैली से जुड़ी गणि राजेन्द्र विजय की पुस्तक को उपयोगी बताया।

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