विश्व पुस्तक मेला शुरू, भीड़ उमड़ी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 7 जनवरी 2018

विश्व पुस्तक मेला शुरू, भीड़ उमड़ी

world-book-fair-starts
नई दिल्ली, 6 जनवरी, राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड के बावजूद शनिवार को विश्व पुस्तक मेले का आगाज हुआ। ठंड के बावजूद बड़ी तादाद में पुस्तक प्रेमी मेला परिसर पहुंचे। इस वर्ष पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ पुस्तक मेले का शुभारंभ हुआ है। प्रगति मैदान में होने वाले इस मेले में इस बार 1500 स्टॉलों के साथ 800 प्रकाशक हिस्सा ले रहे हैं। दिन की शुरुआत में हालांकि लोगों की भीड़ सुबह कम रही लेकिन दिन चढ़ने के साथ बड़ी संख्या में लोग विविध किताबों का आनंद उठाने के लिए एकत्रित होने लगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मेले के उद्घाटन करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "जिस तरह जीवन जीने के लिए भोजन चाहिए, थकान दूर करने के लिए विश्राम चाहिए, ठीक उसी तरह जिंदगी क्यों जिएं और कैसे जिएं, इसके लिए पुस्तकें चाहिए। पुस्तकें इंसान के जीवन का उन्नयन करती हैं।" जावड़ेकर ने इस वर्ष मेले की थीम 'पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन की प्रासंगिकता तथा अनिवार्यता' पर कहा, "हम 21वीं सदी में एक उधार की जिंदगी जी रहे हैं, क्योंकि एक पृथ्वी मनुष्य को जितना दे सकती है, हम उससे ज्यादा ले रहे हैं। इसलिए पर्यावरण का संतुलन बनाना बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए विश्व को एकजुट होकर कार्य करना होगा। उन्हांेने ईंधनचालित वाहनों के स्थान पर साइकिल या पैदल चलने, प्लास्टिक का कम-से-कम इस्तेमाल करने की अपील की। जावड़ेकर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस बार मेले में यूरोपीय संघ सम्मानित अतिथि है। उन्होंने बताया, "मेले में यूरोपीय संघ के 35 लेखक भाग ले रहे हैं जो पुस्तक-प्रेमियों से बातचीत करेंगे। इस वर्ष के पुस्तक मेले के सम्मानित अतिथि देश यूरोपीय संघ है। यूरोपीय संघ के भारत में राजदूत टोमाश कोजलौस्की ने इस सम्मान को भारत एवं यूरोपीय संघ के बीच मजबूत व्यापारिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संबंधों की कड़ी बताया। टोमाश कोजलौस्की ने भारत और यूरोपीय संघ के देशों की पर्यावरण की चुनौतियों से जूझने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, "इस दिशा में दोनों तरफ से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।" नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के उद्घाटन अवसर पर विशिष्ट अतिथि, पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने मेले की थीम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, " जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव भारत के गरीब और छोटे किसानों पर पड़ रहा है। इस विषय पर अनेक कार्यशालाएं, संगोष्ठियां तो आयोजित हो रही हैं परंतु आवश्यकता है उनके कार्यान्वयन की।" पूर्वी दिल्ली से मेले में सुबह आई निधी मेहरोत्रा ने "हम कल रविवार को होने वाली भीड़ से बचना चाहते थे। इसलिए हमने शनिवार को आने का फैसला किया। वैसे भी हम, हमेशा मेले के पहले दिन ही आते हैं क्योंकि इस समय मेले में विविध तरह की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।"

कोई टिप्पणी नहीं: