अब बिहार में हो सकेगा बाढ़ का आकलन : नीतीश - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 11 फ़रवरी 2018

अब बिहार में हो सकेगा बाढ़ का आकलन : नीतीश

bihar-can-calculate-flood-nitish-kumar
पटना 10 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगभग हर साल आने वाली बाढ़ और उसके प्रभाव को कम करने के उपाय ढूंढने के लिए राज्य को आज गणितीय प्रतिमान केंद्र सौंपते हुये कहा कि इससे बाढ़ का आकलन करना संभव हो सकेगा। श्री कुमार ने यहां सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के तहत गणितीय प्रतिमान केंद्र का उद्घाटन करने के बाद कहा कि वर्ष 2008 की बाढ़ त्रासदी के बाद उनके अनुरोध पर विश्व बैंक ने तीन से चार माह के अंदर ऋण देने का निर्णय किया, जिससे बाढ़ प्रभावितों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था के साथ ही बाढ़ आकलन के लिए एक नया तंत्र विकसित किया जा सका। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई प्रणाली नहीं थी जो पहले से बाढ़ का आकलन कर सके। लेकिन, इस केंद्र के माध्यम से वर्ष 2018 एवे आगे के भी आंकड़ों के संकलन को रखा जाएगा। साथ पूर्व के 10 वर्ष के आंकड़ों का भी आकलन किया जाएगा।  मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 में आई बाढ़ से 22 जिलों की ढाई करोड़ आबादी प्रभावित हुई थी। वर्ष 2008 में कोसी की त्रासदी ने मधेपुरा, सुपौल और सहरसा जिले में तबाही मचाई थी। वहीं, इस वर्ष आई भीषण बाढ़ में अररिया, किशनगंज में बड़े पैमाने पर आबादी प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि किन जगहों पर बांध कमजोर है, कहां ज्यादा बर्बादी होगी, किन जगहों पर पानी का फैलाव होगा, इन सबका पहले से आकलन करने से काफी सहूलियत होगी। इस केंद्र के माध्यम से नदी प्रणाली की भी जानकारी मिलेगी, जिसमें शुरू में कोसी और बागमती का और बाद में अन्य नदियों का आकलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गाद की सबसे अधिक समस्या कोसी नदी में है।

श्री कुमार ने कहा कि इन नदियों के साथ ही गंगा नदी पर भी अध्ययन किया जाना चाहिये। भागलपुर के 25 किलोमीटर तक अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम के आंकड़े उपलब्ध हैं, जिसके आधार पर यह विश्लेषण किया जाएगा कि फरक्का बराज के कारण गंगा में कितना गाद जमा होती है। उन्होंने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने गंगा की अविरलता के लिए एक कमेटी बनाई है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से अंतर्देशीय जलमार्ग के बारे में चर्चा हुई थी। गंगा की निर्मलता के साथ ही उसकी अविरलता जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा के अप स्ट्रीम उत्तराखंड, उतर प्रदेश में स्ट्रक्चर बनने से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ है। बिहार में 400 क्यूमेक्स पानी आना है और यहां से फरक्का को 1600 क्यूमेक्स पानी देना है लेकिन चैसा के पास 400 क्यूमेक्स पानी नहीं पहुंच पाता है। नदी जल का प्रवाह सामान्य नहीं होने के कारण गाद जमा होती है। उन्होंने कहा कि फरक्का बराज की डिजाइन के कारण भी गाद नहीं निकल पाता है, जिसे जानने और समझने की जरूरत है। गंगा नदी के अध्ययन के लिए सबसे पहले फरक्का बराज से अप स्ट्रीम के 140 किलोमीटर तक के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुपौल जिले के वीरपुर में फिजिकल मॉडलिंग सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। श्री कुमार ने गंगा नदी का शीघ्र अध्ययन कराये जाने पर बल देते हुये कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) पटना के एक कार्यक्रम में भी उन्होंने इस पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में नदी प्रणाली के अध्ययन के लिए संस्थाना बनाया जा रहा है। पर्यावरण एवं प्रकृति के दृष्टिकोण से इसके लिए अध्ययन करने की जरुरत है। लोग प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। नदियों के साथ निरंतर छेड़छाड़ के परिणाम भयानक होंगे। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता को बचाये रखने के उद्देश्य से पटना और दिल्ली में हुए सम्मेलनों में पर्यावरण विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया था। उस समय लिए गए निर्णयों के बाद केंद्र को प्रस्ताव भी भेजा गया। बिहार से इन सब चीजों के समाधान के लिए प्रश्न उठता रहेगा, जिसे आने वाली पीढ़ी याद रखेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। हाल ही में आयी त्रासदी के लिए आकस्मिकता निधि से 4,192 रुपये की सहायता राशि वितरित की गई। पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन विभाग और कृषि विभाग क्षति के लिए राशि उपलब्ध करायी गई। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आखिर यह नौबत क्यों आती है। इसके लिए निरंतर अध्ययन करने की जरुरत है। गणितीय प्रतिमान केंद्र के आंकड़े इकट्ठा होने और उसके विश्लेषण के बाद इन सभी चीजों में सफलता मिलेगी। इससे पूर्व सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के गणितीय प्रतिमान के ब्लॉक-बी में मुख्यमंत्री के समक्ष एक संक्षिप्त प्रजेंटेशन दिया गया, जिसमें बताया गया कि जल संसाधन विभाग द्वारा विश्व बैंक की सहायता से कोसी प्रक्षेत्र के विकास के लिए दो चरणों में काम होना है। बिहार कोसी बाढ़ समुत्थान परियोजना एवं बिहार कोसी बेसिन विकास परियोजना के तहत रणनीति तैयार कर इसका कार्यान्वयन राज्य सरकार की नोडल एजेंसी बिहार आपदा पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण सोसाइटी के माध्यम से कराया जा रहा है। इसके तहत बाढ़ प्रबंधन के क्षेत्र में बाढ़ पूर्वानुमान, जल प्लावन एवं चेतावनी प्रणाली के लिए नई तकनीक अपनाकर बेहतर कार्यान्वयन की दिशा में योजना तैयार की गई है। कार्यक्रम जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और ऊर्जा तथा निबंधन एवं मद्य निषेध मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा एवं मनीष कुमार वर्मा, विश्व बैंक के परामर्शी डाॅ. सत्यप्रिय, जल संसाधन के तकनीकी परामर्शी इंदू भूषण, जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख अरुण कुमार, पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि, इंजीनियर, विशेषज्ञ एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं: