- उन्माद-उत्पात व नफरत का माहौल खड़ा करना है आरएसएस का काम.
पटना 12 फरवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि आरएसएस कभी देशभक्त संगठन नहीं रहा है. इसकी स्थापना ही उन्माद-उत्पात व नफरत का माहौल खड़ा करने के लिए किया गया है. इतिहास गवाह है कि आरएसएस ने अंग्रजों के खिलाफ चले स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा नहीं लिया. यहां तक कि उससे जुड़े लोगों ने मुखबिरी की और आजादी की लड़ाई के साथ विश्वासघात किया. अपने स्थापना काल से ही आरएसएस देश में विभाजनकारी राजनीति करता रहा है. माले राज्य सचिव ने आगे कहा कि आरएसएस और भाजपा संवैधानिक मूल्यों की लगातार अवहेलना कर रहे हैं. उसी की कड़ी में संघ प्रमुख का ताजा बयान देखा जा सकता है. संविधान की बजाए ये लोग देश को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं. दरअसल, संघ का असली मकसद देश के अंदर उन्माद व उत्पात की राजनीति को बढ़ावा देना है. इनके निशाने पर मूलतः दलित व अकलियत समुदाय के लोग हैं. कौन नहीं जानता कि रणवीर सेना जैसी खूंखार सेना को बिहार में भाजपा-आरएसएस ने ही संरक्षण दिया था. जिसने एक समय बिहार में दलित-गरीबों के दर्जनों बर्बर जनसंहार को अंजाम दिया. आज भी करनी सेना जैसे संगठन के उन्माद-उत्पात के पीछे संघ गिरोह का ही हाथ है. संघ प्रमुख की बातों से यह जाहिर हो गया है कि आरएसएस कोई सांस्कृतिक संगठन नहीं बल्कि, अर्धसैनिक गिरोह टाइप का संगठन है. जिसका मुख्या उद्देश्य भारत को एक भगवा राष्ट्र में तब्दील कर देने की है. देश की जनता आरएसएस के इस असली चेहरे को बखूबी समझती है.
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