आर्यावर्त डेस्क(विजय सिंह),जमशेदपुर, फरवरी,2018, जीवन में कुछ बातें और घटनाएं ऐसी होती हैं ,जो मनुष्य को जीवन पर्यन्त याद रहती हैं. 1981 में ओडिसा में उधोग स्थापना को लेकर छात्रों द्वारा किये गए एक महत्वपूर्ण यादगार छात्र आंदोलन के दरम्यान भी कुछ ऐसी ही बातें घटित हुईं ,जो डॉ. तपन कुमार चाँद के जीवन की यादगार घटना बन गयी. जी हाँ,श्री चाँद 1981 में जब छात्र थे तो उनके नेतृत्व में ओडिसा में उधोग स्थापना की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन हुआ.छात्र ओडिसा में उधोग स्थापना की मांग से कुछ भी कम पर पीछे हटने को तैयार नहीं थे. देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का भुबनेश्वर दौरा था और तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.बी.पटनायक प्रधानमंत्री के आगमन के पहले छात्र आंदोलन समाप्त करवाना चाहते थे. छात्रों पर सरकार और पुलिस प्रशासन का काफी दवाब था. छात्र किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में थे.तब भुबनेश्वर,ओडिसा में पदस्थापित दो स्थानीय समाचार पत्रों के सम्पादकों ने तपन चाँद के नेतृत्व में चल रहे छात्र आंदोलन को न सिर्फ उनकी जायज मांगों को अपने अख़बारों में प्रमुखता से प्रकाशित कर गति दी वरन छात्रों को भोजन और आवागमन के लिए आर्थिक सहायता भी की. नतीजा हुआ कि प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने स्वयं आंदोलनरत छात्रों से मिलने की इच्छा प्रकट की .छात्र प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी से मिले और उन्होंने तुरंत छात्रों की मांगों को स्वीकार करते हुए ओडिसा में नालको और विशाखापत्तनम में विशाखा स्टील कंपनी की स्थापना की घोषणा की. विधि का विधान देखिये कि जिस छात्र तपन कुमार चाँद के नेतृत्व में उक्त आंदोलन हुआ था,जिनकी मांग पर दो महत्वपूर्ण कंपनियों की शुरुआत हुई ,उन दोनों ही कंपनियों का नेतृत्व करने का सौभाग्य तपन कुमार चाँद को प्राप्त हुआ. डॉ.तपन कुमार चाँद वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्न उपक्रम नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (नालको ) के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हैं. उक्त बातें स्वयं डॉ. तपन ने इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन के कार्यक्रम में, भुबनेश्वर में, पत्रकारों से साझा की.
मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018
पत्रकार भारतीय लोकतंत्र के वास्तुकार हैं : तपन चाँद
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