पत्रकार राजनेताओ के दरबारी ना बनें : शिव चौबे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

पत्रकार राजनेताओ के दरबारी ना बनें : शिव चौबे

  • सरकार पत्रकारों की पीड़ा समझे: शारदा

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भोपाल। शहीद भवन, भोपाल में आयोजित एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त शिव चौबे जी, अध्यक्ष मप्र खनिज विकास निगम एव रमेश शर्मा जी राज्यमंत्री एव अध्यक्ष एकता परिषद द्वारा माँ सरस्वती को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित के उपरांत कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।  अपने उद्बोधन में शिव चौबे जी ने कहा की में भी एक पत्रकार हूं, यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष श्री शारदा को आज 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी एक युवा की तरह पत्रकार हित में काम करने हेतु शुभकामनाएं एवं उनके दीर्घायू होने की कामना करता हूं। उन्होंने कहा कि पत्रकार आज भी स्वाभिमान और सम्मान से जीते है और सन्देश दिया की राजनेताओ के दरबारी ना बने क्यों की आज की पत्रकारिता का पैमाना ही बदल गया है जिसके बाद श्री चौबे जी ने प्रदेशाध्यक्ष एव अन्य अतिथियो के साथ प्रदेश के कई पत्रकारो को देवऋषि नारद सम्मान से सम्मानित करा जिसके बाद माननीय श्री चौबे जी यूनियन की प्रांतीय सचिव सुश्री लक्षमी दुबे ने प्रतीक चिन्ह भेट कर शाल एवं श्रीफल से सम्मान किया। रमेश शर्मा जी ने पत्रकारो को संबोदित करते हुए कहा की हमारी सरकार ने पत्रकारो को श्रद्धा निधि एव बीमा योजना की सौगात दी है उन्होनें सरकार के द्वारा पत्रकारों के हित में किए गए कार्यों को विस्तार बताया। 

प्रदेश से आए 500 से अधिक पत्रकारों एवं आमंत्रित अतिथियों के बीच प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने प्रदेश के पत्रकारों की समस्याओं का मुद्दा प्रमुखता से उठाया उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रदेश के सभी पत्रकारों की पीड़ा को समझना जरूरी है, उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा कानून एवं जांच समिति बनाने का मांग भी पुरजोर तरीके उठाई। सारी परम्पराओं को तोड़कर मैंने सबसे पहले प्रदेश के पत्रकारों की समस्याओं को रखना उचित समझा, कारण स्पष्ट है आज इस मंच पर अतिथि आसीन हैं जिन्हें यूनियन का मुखिया होने के नाते सर्वानुमति से लिए गए निर्णयों से पत्र ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया गया था, परन्तु किन्हीं कारणों से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। उन्होंने अपने उद्बोधन में उमाशंकरजी गुप्ता को एक पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि उनके द्वारा यूनियन के पत्र पर डीजीपी को समिति बनाने हेतु लिखा। परन्तु किन्हीं कारणों से तत्कालीन डीजीपी अथवा अन्य अधिकारियों ने उस पत्र पर किए आदेश का पालन नहीं दिया। सरकार याने मुख्यमंत्री, मंत्री के आदेश का पालन करना सरकारी सेवक का धर्म है। सरकार, मुख्यमंत्री, मंत्री के आदेशों का पालन करना ही उनका पहला और अंतिम कत्र्तव्य है। ना मानना हर प्रकार से अनुचित और आचरण संहिता का उल्लंघन है।
इसी प्रकार हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्रकारों के लिए भाड़ा क्रय योजना के तहत गृह निर्माण मंडल से आवास उपलब्ध करवाने हेतु पत्र लिखा था। जिसे माननीय रामपाल सिंह जी से चर्चा उपरांत 6 0 आवास देने की बात हुई। उस समय मेरे मन में विचार आया कि कार्य सामूहिक जवाबदारी का है अत: तत्कालीन यूनियन के एक उपाध्यक्ष को जिम्मेदारी दी गई परन्तु आगे क्या हुआ भरोसा तोड़ा गया, लाभ लिया गया। खैर दुनिया की रीत है उसी अनुरूप उन्होंने कार्य किया।

उन्होंने कहा कि मंच पर हमारी यूनियन के संरक्षक और मुख्यमंत्री के बाल सखा, सलाहकार एवं खनिज विकास निगम के अध्यक्ष माननीय शिव चौबे जी भी मंचासीन है जो कि स्वभाव से भगवान भोलेनाथ की तरह भोले हैं के माध्यम से हमारे पत्रकार साथियों या उनके परिवार के सदस्यों को गंभीर बीमारी के अवसर पर मुख्यमंत्री आर्थिक सहायता निधि से सहायता दिलाई। इन सभी के उपरांत उन्होंने पत्रकार सुरक्षा कानून एवं जांच समिति बनाने की मांग को उद्धृत करते हुए कहा कि हम विगत 6 वर्ष से लगातार सरकार के सामने अलग-अलग माध्यम द्वारा रख रहे हैं पिछले एक माह से हमारी यूनियन के पदाधिकारी अपने-अपने जिलों में इन दोनों मांगों को लेकर ज्ञापन दे रहे हैं। सरकार को चलाने के लिए विधायिका न्यायपालिका, कार्यपालिका जितनी महत्वपूर्ण है उनसे अधिक महत्वपूर्ण खबर पालिका है। जब तक खबर पालिका जनता की समस्या को अपनी कलम के माध्यम से नहीं उठाता तब तक तीनों स्तंभों को कोई जानकारी नहीं होती है। विधायिका कई बार समाचारों को आधार बनाकर कानून बनाती है, न्यायपालिका उस कानून पर निर्णय देती है और कार्यपालिका उस कानून का क्रियान्वयन करती है, परन्तु खबर पालिका के लिए एक छोटा सा कानून बनाने में राज्य सरकार क्यों विलम्ब कर रही है समझ से परे है, या फिर भ्रष्ट तंत्र कानून नहीं बनाने दे रहा है। उन्होंने अपने उद्बोधन की अंत में कहा कि जनसम्पर्क मंत्री नरोत्तम जी के पास समाचार पत्रों और पत्रकारों से संबंधित विभाग है यदि यह विभाग श्रद्धानिधि को 6  हजार के स्थान पर 10 हजार तथा गंभीर बीमारी में त्रस्त पत्रकारों को जिन्हें श्रद्धानिधि मिलती है को बीमारी के इलाज के लिए रुपए 15 हजार प्रतिमाह की व्यवस्था करें। हम न तो विज्ञापन की बात करते और न ही अधिमान्यता की ये काम नियमों में आने पर अपने आप होते हैं। इस अवसर पर प्रदेश के पत्रकारों का देवर्षि नारद, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, कर्म-श्री एवं कर्मठ कार्यकर्ता सम्मान से भी सम्मानीत किया गया।

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