पत्रकारों को अपने हितों के लिए खुुद संघर्ष करना होगा : स्मृति इरानी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

पत्रकारों को अपने हितों के लिए खुुद संघर्ष करना होगा : स्मृति इरानी

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नयी दिल्ली, 10 फरवरी, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने आज कहा कि पत्रकारों के हितों के लिए संघर्ष और नए वेतनमान के मामले में वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं और केन्द्र सरकार इसमें उनकी सभी मांगों का समर्थन करेगी । श्रीमती इरानी ने फेडरेशन आॅफ पीटीआई इम्प्लाइज यूनियन्स की वार्षिक आम बैठक के दूसरे दिन आज कहा कि इस मामले में फाइल प्रसार भारती को भेजी जा चुकी हैं और वह उनके पत्र का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का एक ही एजेंडा होना चाहिए और वह एजेंडा ‘सत्य ’ है। दशकों पहले की पत्रकारिता और वर्तमान पत्रकारिता में जमीन -आसमान का फर्क है और इंटरनेट पर हर तरह की जानकारी उपलब्ध है, लेकिन पत्रकारों को सिर्फ गूगल बाबा पर निर्भर रहने के बजाए मुद्दों की मूल तह तक जाना होगा। श्रीमती इरानी ने कहा “ पत्रकारिता करना इतना आसान काम नहीं है और इसमें काफी मेहनत और प्रतिबद्वता की आवश्यकता है लेकिन आज के मीडियाकर्मी खासकर ‘युवा रिपोर्टर’ अपनी स्टोरियोंं और जानकारी के लिए पूरी तरह सोशल मीडिया मुख्तया“ गूगल बाबा” पर निर्भर हैं। उन्हाेंने कहा कि आजकल के पत्रकार खबरों के साथ फुटबाल खेलते हैं और अपनी पूरी रिपोर्ट“ सूत्रों के हवाले” से कह चला देते हैं। अगर आप किसी खास घटनाक्रम के प्रति पूरी तरह अाश्वस्त नहीं है या फिर आपके पास कोई पुख्ता सबूत नहीे है तो इनमें आप अपना नाम मत डालिए या फिर अपना श्रेय मत लीजिए। एक पत्रकार को इमानदार होना बेहद जरूरी है और तभी अाप सही खबर चला सकेगें।” उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता में काफी बदलाव की जरूरत है और मीडिया का आम लोगों पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ता है लेकिन मीडिया के कुछ लोग सोचते हैं कि उन्होंने किसी खास समाचार का एजेंडा तय कर दिया है और हर कुछ उन्हीं के अनुसार चलता हैं

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि बीते समय की पत्रकारिता काफी अलग थी और आज संसाधनाेेें तक पहुंच अधिक है और इसे देखते हुए पत्रकारिता को नए सिरे से स्थापित किए जाने की दिशा में काम किया जाना चाहिए। मीडिया की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्हाेंने कहा कि अपने हितों के लिए पत्रकारों को खुद ही संघर्ष करना होगा और वह उनके आंदोलन का समर्थन करेंगीं और उनकी ‘‘ढाल बनेंगी। उन्होंने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के बाद यह पहला मौका है जब वह किसी सरकारी कार्यक्रम के अलावा किसी ट्रेड यूनियन के कार्यक्रम में शामिल हो रही हैं। केन्द्रीय संचार और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए कहा कि सूचना तकनीक से लबरेज नेट आधारित इस दौर में सोशल मीडिया का काफी इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन कईं बार सोशल मीडिया का दुरूपयोग भी किया जाता है और सोशल मीडिया की इन चुनौतियों का निदान तलाशना अत्यन्त आवश्यक है तथा मीडिया खुद ही इन चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस अधिवेशन में यूएनआई के संपादक एवं प्रबंधकीय प्रमुख अशोक उपाध्याय ने कहा कि समाचार एजेंसियां सही और प्रमाणिक खबरें देती हैं। उन्होंने कहा कि दोनों एजेंसियां गंगा और यमुना की तरह हैं और पूरे देश में समाचार जगत में बहते हुए शुद्व ,सही एंव प्रामाणिक समाचार देती हैं और वह समाचारों में विचार नहीं डालतीं। उन्होंने कहा कि सरकार को समझना चाहिए कि लोगों तक सही समाचार पहुंचाने के लिए समाचार एजेंसियों को मजबूत बनाना होगा। उन्हाेंने कहा “ हम नजरिया आधारित समाचारों को नहीं देते हैं और यह प्रवृति आज के दौर का एक फैशन सा बन गया है। अब समाचारों में विचार ज्यादा रहते हैं आैर खबरों का पुट कम रहता है। हम खबरों काे खबर ही रहने देते हैं और उनमें अपनी तरफ से कोई मसाला नहीं डालते या फिर सनसनीखेज नहीं बनाते हैं।” श्री उपाध्याय ने कहा कि लेकिन आज के पत्रकारिता के दौर को देखते हुए यही लगता है कि समाचार अौर विचार मिलकर अनाचार हो रहा है।

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