कोलकाता (विजय सिंह ) , आर्यावर्त डेस्क,9 फरवरी,2018, देवों के देव महादेव के माता पार्वती के साथ परिणय दिवस के रूप में मनाये जाने वाले भगवान शिव की उपासना का महापर्व महशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष चंद्ररहित फाल्गुन पूर्णिमा माह( अमावस्या माघ माह ) के 14 वें दिन को मनाया जाता है.इस वर्ष यह पवित्र दिन 13 फरवरी की मध्य रात्रि (14 फरवरी,2018) से प्रारम्भ हो रहा है. आदि देव शिव और माता पार्वती को सम्पूर्ण जगत का माता पिता माना जाता है.इसीलिए कहा ही गया है-
वागर्थाविव सम्पृकऔ वागर्थ: प्रतित्रये I
जगत: पितरौ वन्दे पार्वती परमेश्वरौ II
कई सुधी विद्धान शिवरात्रि को शिव के "तांडव" से भी जोड़ कर देखते हैं.तांडव भगवान शिव के पवित्र नृत्य शैली को कहा जाता है ,जिसमें ब्रह्मांड की सृष्टि,संरक्षण और विध्वंस का समावेश है. प्रसिद्ध वास्तुविद,ज्योतिष और मरीन अभियंता तमोजित चक्रवर्ती ने "लाइव आर्यावर्त" को बताया कि 13 फरवरी की मध्यरात्रि (अंग्रेजी तारीख के अनुसार 14 फरवरी ) 12 बजकर 15 मिनट से 01 बजकर 06 मिनट तक निश्चित काल पूजा का समय है. 14 फरवरी प्रातः 7 बजकर 03 मिनट से दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक महाशिवरात्रि पारण का समय उत्तम है. रात्रि में प्रथम प्रहर पूजा का समय संध्या 06 बजकर 17 मिनट से रात्रि 09 बजकर 29 मिनट तक , रात्रि दूसरे प्रहर के पूजा का समय रात्रि 09 बजकर 29 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 40 मिनट तक ,तीसरे प्रहर के पूजा का समय मध्य रात्रि 12 बजकर 40 मिनट से पूर्वांह 03 बजकर 52 मिनट तक और चौथे प्रहर के पूजा का समय पूर्वान्ह 03 बजकर 52 मिनट से प्रातः 07 बजकर 03 मिनट तक सर्वांग ग्रहानुकूल है. महाशिवरात्रि की पूजा कोई भी व्यक्ति इनमें से किसी एक समय या चारों समय सुविधानुसार कर सकता है. स्वास्थ्य और अन्य दृष्टिकोण से भी महाशिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है. श्रद्धालु किसी भी मंदिर या अपने घर में शिव लिंग या भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा पर जल और बेल पत्र अर्पण कर 108 या 1008 बार "ॐ नमः शिवाय " का जाप कर महादेव की आराधना कर सकते हैं. श्री तमोजित ने कहा कि श्रद्धालु महिला पुरुष भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से पूर्व प्रथम पूज्य देव श्री गणेश का आह्वान जरूर करें. मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर 5 फरवरी से 9 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत हो चुकी है.
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