त्रिपुरा में ‘माणिक’ नहीं ‘हीरा’ सरकार की जरूरत : प्रधानमंत्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

त्रिपुरा में ‘माणिक’ नहीं ‘हीरा’ सरकार की जरूरत : प्रधानमंत्री

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सोनामुरा 08 फरवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्रिपुरा के लोगों से ‘भ्रष्टाचार में लिप्त’ वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंकने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘हीरा’ सरकार को चुनने का आज आह्वान किया। श्री मोदी ने अगरतला से 70 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम सोनामुरा में चुनावी रैली में कहा, ‘अब तक आपने ‘माणिक’ सरकार को देखा है लेकिन आपको ‘हीरा’ सरकार की जरूरत है। हीरा में एच का मतलब सर्वोत्तम राजमार्ग, आई का मतलब सर्वोत्तम इंटरनेट संपर्क, आर का मतलब सर्वाधिक आधुनिक परिवहन व्यवस्था और ए का मतलब फुर्तीला वायु मार्ग संपर्क है। त्रिपुरा में इन सबको लाने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है।” प्रधानमंत्री ने अपने 45 मिनट के भाषण में लोगों से त्रिपुरा में वाम मोर्चा नीत माणिक सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। श्री मोदी ने कहा, “हमने देखा है कि जब जनता जनार्दन नापसंद करती है तो अच्छी-अच्छी सरकारें भी सत्ता से बेदखल हो जाती हैं। समय आ गया है कि 25 वर्षों से सत्ता संचालन में असफल रही माणिक सरकार को उखाड़ फेंका जाए।” उन्होंने अपने संबोधन के दौरान राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन के आरोप लगाये। उन्होंने त्रिपुरा और पूर्वोत्तर के लिए उनकी सरकार की विकास योजनाओं का विशेष तौर पर उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में न्यूनतम मजदूरी से कम पारिश्रमिक दिहाड़ी श्रमिकों को मिलता है। कर्मचारियों को अभी तक चतुर्थ वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप ही वेतन मिल रहे हैं और वाम दलों के कुशासन की वजह से लोग भय में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। भाजपा त्रिपुरा को तीन टी-- टी, टूरिज्म और ट्रेनिंग के साथ विकसित करना चाहती है। श्री मोदी ने कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कार्यालय से जब तक निर्देश नहीं मिलता तब तक पुलिस किसी मामले को दर्ज नहीं करती। राज्य में जब तक माकपा नेता अनुशंसा न करें तब तक किसी पात्र व्यक्ति को भी राशन कार्ड जारी नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि इस सरकार को लोगों से वोट मांगने का हक नहीं है। त्रिपुरा में माकपा शासन के दौरान सरकार और पार्टी एक ही हो गये हैं। वाम दलों के नेताओं ने राज्य को गरीबी और पिछड़ेपन की ओर धकेल दिया है। उन्होंने कहा कि 25 वर्षों के कम्युनिस्टों के शासन के दौरान त्रिपुरा में लोगों काे जीने के अधिकार से वंचित कर दिया गया। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहे हैं और कर्मचारियों को बेहतर वेतन और भत्ते नहीं दिये जा रहे हैं। साठ सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा के चुनाव के लिए 18 फरवरी को मतदान होंगे।

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