आतंकवाद के खिलाफ अभियान किसी धर्म के खिलाफ नहीं : प्रधानमंत्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 1 मार्च 2018

आतंकवाद के खिलाफ अभियान किसी धर्म के खिलाफ नहीं : प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली, 1 मार्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि आतंकवाद और चरमपंथ के विरुद्ध अभियान किसी धर्म को लक्ष्य बनाकर नहीं चलाया जा रहा है, बल्कि यह उस मानसिकता के खिलाफ है जो निर्दोष लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए युवाओं को गुमराह कर रही है। इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी ने कहा, "मानवता के खिलाफ अपराध को अंजाम देने वालों को शायद यह नहीं मालूम कि वे उस धर्म को चोट पहुंचा रहे हैं जिससे अपने संबंध का वे दावा करते हैं।" 'इस्लामिक हेरीटेज : प्रमोटिंग अंडरस्टैंडिंग एंड मॉडरेशन' विषय पर चर्चा में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय इब्न अल हुसैन ने भी अपनी बात रखी। मोदी ने कहा, "आतंकवाद, चरमपंथ और उग्रपंथ के खिलाफ अभियान किसी पंथ विशेष को लक्ष्य करके नहीं चलाया जा रहा है बल्कि यह निरीह लोगों को कष्ट पहुंचाने के लिए युवाओं को गुमराह करने वाली मानसिकता के खिलाफ है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की धरती पर हर धर्म का विकास हुआ है। उन्होंने कहा, "हर धर्म को यहां संजीवनी मिली और उसका प्रसार हुआ। इस गुण के लिए हर भारतवासी गौरवशाली है, फिर इसमें कोई मायने नहीं है कि कोई कौन सी भाषा बोलता है और किस धर्म का अनुपालन करता है। मोदी ने कहा, "चाहे 2,500 साल पहले पैदा हुए बुद्ध हों या आधुनिक युग में महात्मा गांधी, दोनों ने शांति और प्यार की महक भारत से दुनिया भर में फैलाई। भारत ने 'वसुधव कुटुंबकम' का विचार दिया, जिसका मतलब है कि पूरा विश्व ही हमारा परिवार है। भारत दुनिया के सभी लोगों को एक परिवार का हिस्सा समझने में अपनी पहचान पाता है।" मोदी ने कहा कि भारत में सबके सर्वागीण विकास पर ध्यान दिया जाता है क्योंकि सबके विकास से ही राष्ट्र का विकास संभव होता है और लोगों के जीवन में खुशहाली आती है। उन्होंने कहा कि आज यहां इतनी बड़ी संख्या में आपके इकट्ठा होने से प्रदर्शित होता है कि आप सभी अपनी अगली पीढ़ी का सही मार्गदर्शन करना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस बात का भी संकेत है कि आप न सिर्फ युवाओं की तरक्की चाहते हैं बल्कि उनके मानस में मानवीय मूल्यों की बात भी बिठाना चाहते हैं। मोदी ने कहा कि सर्वागीण विकास और खुशहाली तभी आएगी जब हर मुस्लिम युवा के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म में अमानवीय कार्य करने को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। हर धर्म, पंथ और संप्रदाय में मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है। मोदी ने कहा, "इसलिए यह जरूरी है कि हमारे युवा अपने मानस में एक तरफ इस्लाम के मानवतावादी दृष्टिकोण को अंगीकार करने के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास को भी स्वीकार करें।" मोदी ने अम्मान घोषणापत्र के दो भारतीय हस्ताक्षरकर्ताओं का जिक्र करते हुए किंग अब्दुल्ला को आश्वस्त किया कि चरमपंथ के खिलाफ उनके प्रयासों में भारत उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। अम्मान घोषणापत्र नवंबर 2004 में किंग अब्दुल्ला ने जारी किया था, जिसमें दुनिया के मुसलमानों से सहनशीलता और आपसी एकता का आह्वान किया गया था।

किंग अब्दुल्ला ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ जंग, धर्मो के बीच जंग नहीं बल्कि नरमपंथ और चरमपंथ के बीच की जंग है। उन्होंने कहा, "धर्म के बारे में खबरों में जो सुनते हैं और दिखाए जाते हैं, उससे लोगों में विभाजन पैदा होता है।" उन्होंने कहा कि घृणा की विचारधाराओं ने ईश्वर शब्द के अर्थ को तोड़-मरोड़कर पेश किया है ताकि कलह पैदा हो। ऐसी विचारधाराओं में अपराध व आतंक को सही ठहराने का प्रयास किया जाता है। जॉर्डन के किग अपने तीन दिनों के राजकीय दौरे पर मंगलवार को भारत आए। गुरुवार को यहां राष्ट्रपति भवन में उनका भव्य स्वागत किया गया। पिछले महीने किंग अब्दुल्ला ने अम्मान स्थित अपने आवास पर मोदी की मेहमाननवाजी की थी। जॉर्डन ने मोदी के फिलिस्तीन जाने का प्रबंध किया था।

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