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सोमवार, 11 जून 2012

किस आधार पर अल्पसंख्यक आरक्षण.


सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण के सवाल पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। हाल ही में हाई कोर्ट ने ओबीसी कोटे के तहत अल्पसंख्यकों के लिए 4.5% रिजर्वेशन संबंधी आदेश को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है।

देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार से पूछा कि किस आधार पर अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया कि बुधवार को वह उन कागजात के साथ आएं, जिनके आधार पर अल्पसंख्यक रिजर्वेशन का फैसला लिया गया था।

जस्टिस के. एस. राधाकृष्णन और जस्टिस जे. एस. खेहड़ की अवकाशकालीन बेंच ने सोमवार को इस संवेदनशील मसले के प्रति केन्द्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई। जजों ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए केन्द्र सरकार द्वारा आरक्षण के समर्थन में दस्तावेज पेश नहीं करना आश्चर्यजनक है। जजों ने याचिका पर नोटिस जारी किए बगैर ही अटर्नी जनरल गुलाम वाहनवती से कहा कि अल्पसंख्यकों को अन्य पिछडे़ वर्ग के 27 फीसदी कोटे में से 4.5 फीसदी आरक्षण देने को सही ठहराने वाले दस्तावेज पेश करें। उन्होंने कहा कि इस याचिका पर किसी भी कार्यवाही से पहले कोर्ट के सामने जरूरी दस्तावेज तो होने चाहिए।

अटर्नी जनरल ने इस मामले में अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों के लिए संरक्षण का अनुरोध करते हुए कहा कि इस आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत आईआईटी के लिए 325 छात्रों ने परीक्षा पास की है। उन्होंने कहा कि इन छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए काउंसलिंग शामिल होने की अनुमति दी जाए क्योंकि इसकी अनुमति नहीं मिलने से इन छात्रों का भविष्य चौपट हो सकता है।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में कहा है कि अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला एक डीटेल सर्वे के बाद लिया गया था, बावजूद इसके आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया । हाई कोर्ट ने 28 मई को कहा था कि केंद्र ने अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी सब कोटा देने का फैसला बेहद हल्के ढंग से लिया।

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