सफल मंगल मिशन के साथ भारत ने रचा इतिहास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 सितंबर 2014

सफल मंगल मिशन के साथ भारत ने रचा इतिहास


mangalyaan reches mars
भारतीय अंतरिक्षयान, मंगलयान बुधवार को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। इसके साथ ही भारत ने मंगलयान को प्रथम प्रयास में मंगल की कक्षा में पहुंचाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर कहा कि भारत ने असंभव को संभव कर दिखाया है। भारत के मंगलयान मिशन (एमओएम) ने मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए नौ महीनों में 6.5 करोड़ किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय की है। अभियान के नियंत्रण केंद्र के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "अंतरिक्षयान (ऑर्बिटर) ने सुबह 7.55 बजे मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और यह सतह से लगभग 515 किलोमीटर दूर स्थापित हुआ।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत प्रथम प्रयास में ही यह सफलता अर्जित करने वाला एकमात्र देश है। आज की इस असाधारण सफलता के साथ इसरो ने शीर्ष समूह में शामिल हो गया है। विश्व में सिर्फ तीन अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां ही इस लाल ग्रह पर जाने में सफल हो पाई हैं।" उन्होंने कहा कि एमओएम को देश में निर्मित किया गया है।  प्रधानमंत्री ने कहा, "विश्व के 51 अभियानों में सिर्फ 21 को ही सफलता मिली है, लेकिन हमने सफलता पाई है।" मंगलयान के मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने की अंतिम प्रक्रिया तड़के 4.17 बजे से शुरू हुई, जब अंतरिक्षयान ने रेडियो सिग्नल प्राप्त करने और उत्सर्जन के लिए मीडियम गेन एंटीना पर स्विच किया। 

सूर्य की कक्षा से मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के दौरान अंतरिक्षयान की गति 22.4 किलोमीटर प्रति सेकंड से घटकर 2.14 मीटर प्रति सेंकड हो गई थी। यह अंतरिक्ष यान, जीवन बनाए रखने वाले तत्वों की तलाश में मंगल ग्रह की सतह का, इसकी खनिज संरचना का अध्ययन करेगा और मीथेन गैस के लिए इसके वातावरण का स्कैन करेगा। यह महत्वाकांक्षी मिशन पांच नवंबर, 2013 को बंगाल की खाड़ी से लगे एक द्वीप, श्रीहरिकोटा से लांच किया गया था, जिस पर 450 करोड़ रुपये की लागत आई है। 

इस मिशन की सफलता के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), मंगल मिशन में सफलता पाने वाली चौथी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी बन गई है। भारत मंगलवार को मंगल ग्रह के गुरुत्व क्षेत्र में प्रवेश करने वाला पहला एशियाई देश बन गया था। इसके पहले वर्ष 2011 में चीन का ऐसा ही एक मिशन असफल हो गया था। मंगल ग्रह, सौर मंडल में दूसरी सबसे छोटी खगोलीय संरचना है। इस ग्रह पर लौह ऑक्साइड बहुतायत में है, जिस कारण से इसका सतह लाल है।

मंगल अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में 24 घंटे 37 मिनट का समय लेता है। धरती को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन लगते हैं, जबकि मंगल को सूर्य की परिक्रमा में 687 दिन लगते हैं। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृणन ने कहा, "हमने स्वदेशी रॉकेट और अपने खुद के अंतरिक्षयान के जरिए अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर अपनी प्रौद्योगिकीय क्षमताओं को प्रदर्शित और साबित कर किया है।" उन्होंने कहा, "एमओएम, भविष्य में हमारे अंर्तग्रहीय अंतरिक्ष मिशनों की ओर एक बड़ा कदम है।"

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