पटना, 18 जून, बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे विकास से जोड़ने वाला सर्वाधिक कारगर उपकरण बताया और कहा कि बढ़ती आबादी को सुशिक्षित करने के साथ ही उनका कौशल विकास देश के लिए बड़ी चुनौती है। श्री कोविन्द ने आज यहां अनुग्रह नारायण महाविद्यालय में आयोजित बिहार विभूति डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा की 129 वीं जयन्ती समारोह-सह-महाविद्यालय के ‘हीरक जयंती समारोह’ को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि बढ़ती आबादी को सुशिक्षित बनाना अैर उनके कौशल का विकास करना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह कार्य केवल सरकार के भरोसे छोड़ देना उचित नहीं है। राष्ट्र-निर्माण में अपने सामाजिक दायित्वों को निभाने के लिए सबको तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता को विकास से जोड़ने के लिए शिक्षा से बड़ा कोई कारगर उपकरण नहीं है। राज्यपाल ने बिहार में उच्च शिक्षा की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमें अभी लम्बी दूरी तय करनी है। बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की दो महत्वपूर्ण बैठकें इस वर्ष हुई हैं और उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ..हाल की कुछ घटनाओं ने हमें चिंतित जरूर किया है लेकिन मुझे विश्वास है कि सरकार और समाज दोनों मिलकर शिक्षा-जगत के ऐसे आपराधिक कृत्यों से निबटने में सक्षम साबित हो सकते हैं। देश में कानून की मर्यादा सदा रही है और कठोर कानूनी कार्रवाइयों के जरिये हमने बड़ी-से-बड़ी समस्याओं से मुक्ति पाई है..।
श्री कोविंद ने बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह को याद करते हुए उन्हें देश के स्वाधीनता-संग्राम के महान नायकों में एक बताया और कहा कि वे बिहार के गाँव-गाँव में स्वतंत्रता का अलख जगाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पद चिह्नों पर चलने वाले उनके प्रिय अनुयायी थे। उन्होंने कहा कि अनुग्रह बाबू का सरल स्वभाव, उन्मुक्त शैली, सीधी-सादी भाषा, व्यवहार-कुशलता और सहज आत्मीयता-सबके लिए अनुकरणीय है। राज्यपाल ने जाने माने कवि लांगफेलो की पंक्तियाँ उद्धृत करते हुए कहा कि..महापुरूषों के जीवन हमारे लिए बराबर प्रेरणादायी होते हैं, उनका अनुकरण कर हम भी अपने जीवन को उदात्त बना सकते हैं तथा यह दुनियाँ से विदा लेते वक्त, समय की रेत पर अपने पैरों के निशान छोड़ सकते हैं..। उन्होंने कहा कि अनुग्रह बाबू भी वैसे ही महापुरूषों में से एक थे, जिन्होंने समय की रेत पर अपने पद-चिह्नों की अमिट छाप छोड़ी। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉ0 अशोक चौधरी ने कहा कि अनुग्रह बाबू जन-जन के प्रिय नेता थे, जिन्होंने बिहार के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने कहा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कृत-संकल्पित है। वहीं कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए नागालैण्ड एवं केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने अनुग्रह बाबू को समाज के अभिवंचित वर्ग का हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि आज भी गरीब तबके के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तपोषित करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ0 मो0 इश्तियाक ने भी अपने विचार रखे।
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