सीतामढ़ी है सीता की जन्मभूमि : डॉ. बीरबल झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

सीतामढ़ी है सीता की जन्मभूमि : डॉ. बीरबल झा

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सुप्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक व मिथिलालोक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. बीरबल झा ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री महेश शर्मा द्वारा राज्यसभा में दिए गए उस बयान का जोरदार खंडन किया है कि सीता की जन्मभूमि का मामला केवल आस्था का विषय है और इस संबंध में हमारे पास कोई ऐतिहासिक या पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है कि सीता का जन्मस्थान वर्तमान बिहार प्रदेश का सीतामढ़ी क्षेत्र है. डॉ. झा ने कहा कि मैं माननीय मंत्री के इस विवादित बयान से बेहद दुखी और हैरान हूँ. दरअसल, बाल्मीकि कृत विश्वप्रसिद्ध महाकाव्य 'रामायण' में जिस राजा जनक का उल्लेख हुआ है, उनका क्षेत्र आज का सीतामढ़ी है जिसे कई साक्ष्यों द्वारा समय-समय पर प्रमाणित किया जाता रहा है. जनक की पुत्री और अयोध्या के राजा श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म इसी सीतामढ़ी में हुआ जिसे लेकर लाखों-करोड़ों हिन्दुओं के मन में कभी कोई भ्रम या विवाद नहीं रहा है. स्पष्ट है कि हिन्दुओं के आदर्श चरित्र और उनकी आस्था की प्रतीक सीताजी पर केंद्रीय मंत्री का यह बयान हिन्दुओं की भावनाओं को आघात पहुँचाने वाला है.


उल्लेखनीय है कि सीता का जन्मस्थान जो 'सीताकुंड' के नाम से प्रसिद्ध है, वह सीतामढ़ी जिले से पांच किमी की दूरी पर अवस्थित है जहाँ सालों भर हिन्दू श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. यहाँ देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते रहते हैं और यह स्थान श्रीराम के जन्मस्थान अयोध्या की तरह ही हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है. लेकिन आज इसपर सवाल उठाया जा रहा है जो न केवल मिथिलांचल के लोगों बल्कि समूचे हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा है. यह कितनी हैरानी कि बात है कि संस्कृति मंत्री द्वारा जिस 'रामायण सर्किट' के निर्माण की बात की जा रही है उसमें सीता जन्मभूमि को भी शामिल करने की योजना है जबकि दूसरी ओर उसे जन्मभूमि मानने से इंकार भी किया जा रहा है.  आज यह सवाल उठाना भी प्रासंगिक है कि श्रीराम की बात करने वाली भाजपा सरकार जितना महत्व राम जन्मभूमि को देती है उतना और वैसा ही महत्व सीता जन्मभूमि को क्यों नहीं देती? क्या इसका कारण वह पुरुषवादी मानसिकता है जो पुरुष की तुलना में स्त्री को अपेक्षाकृत कम महत्व देती है? आखिर लैंगिक समानता की बात करने वाले लोगों की सोच क्या है, यह भी जाहिर होना चाहिए।

डॉ. झा का कहना है कि हमारी संस्था 'मिथिलालोक फाउंडेशन' मिथिलांचल के सामाजिक-सांस्कृतिक व आर्थिक विकास के लिए कृतसंकल्प है जो सीता जन्मभूमि विवाद को मिथिला के सम्मान से जोड़कर देखती है और इसलिए ऐसे किसी भी विवाद का पुरजोर विरोध करती है.

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