गांधीजी के विचार आज भी प्रासंगिक : नीतीश कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 मई 2017

गांधीजी के विचार आज भी प्रासंगिक : नीतीश कुमार

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पटना 23 मई, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को प्रासंगिक बताया और कहा कि बापू के विचारों में ही समाधान है। श्री कुमार ने आज यहां चम्पारण सत्याग्रह के सौ साल के मौके पर ‘गांधी की राह, देश की जरूरत‘ विषय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुये कहा, “देश में जिस तरह का वातावरण बनता चला जा रहा है, वैसी स्थिति में गांधीजी के विचार को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है। राष्ट्रपिता के विचारों में ही समाधान है, उनकी बातें आज भी प्रासांगिक है। आवश्यकता की पूर्ति होनी चाहिए लालच की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।” मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 को चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस कड़ी में 10-11 अप्रैल 2017 को दो दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर से प्रख्यात गांधीवादी विचारकों ने गांधीवादी ज्ञान और दर्शन के बारे में अपने विचारों को साझा किया।



श्री कुमार ने कहा कि सरकार की पहल से चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरा होने के मौके पर राज्य भर में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सभी दलों के गांधीवादी विचारकों और उनकी राय से पूरे साल इसकी स्मृति में आयोजन की रूपरेखा तैयार की गयी है और इसके तहत पिछले 10 और 11 अप्रैल को गांधी विमर्श का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से गांधीवादी विचारक सम्मिलित हुए। उन्होंने कहा कि उक्त कार्य्रमम में जितनी तन्मयता के साथ युवा पीढ़ी ने शिरकत की, वह प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 अप्रैल को ही गांधी जी चम्पारण जाने के लिए पटना पधारे थे। बापू पटना से मुजफ्फरपुर गये, वहां पर कुछ दिन ठहरे और इसके बाद मोतिहारी पहुंचे। उन्होंने कहा कि राजकुमार शुक्ल ने गांधीजी को आमंत्रित किया था। गांधीजी के चम्पारण सत्याग्रह ने जो रूप धारण किया, इससे न सिर्फ इस क्षेत्र में किसानों पर हो रहे अत्याचार समाप्त हुआ बल्कि इससे पूरे देश में संदेश पहुंचा। उन्होंने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह का स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में विशिष्ट योगदान है। श्री कुमार ने कहा,“चम्पारण शताब्दी वर्ष के मौके पर राज्य सरकार की ओर से अबतक अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं। गांधी जी के विचारों को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। घर-घर दस्तक का कार्यक्रम भी होने वाला है। बापू के जीवन पर आधारित फिल्मों को दिखाया जा रहा है। विशेष रथ के जरिये इन फिल्मों को गांव में दिखाने की योजना है। देश में जिस तरह का वातावरण बनता चला जा रहा है, वैसी स्थिति में गांधीजी के विचार को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है। 

श्री कुमार ने कहा ,“ हमारा लक्ष्य गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि हम नई पीढ़ी तक गांधीजी के विचारों को पहुंचायेंगे और उनके विचारों को ग्रहण करने के लिए उन्हें प्रेरित करेंगे। यदि 10 से 15 प्रतिशत नई पीढ़ी भी गांधीजी के विचारों के प्रति आकर्षित हो जाये और उनके विचारों को समझ ले तो आने वाले समय में समाज निश्चय तौर पर बदल जायेगा।” मुख्यमंत्री ने पर्यावरण के साथ लगातार हो रही छेड़छाड़ पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम लोग पर्यावरण के साथ अन्याय कर रहे हैं। मनुष्य की निर्भरता उपकरणों और प्रौद्योगिकी पर बढ़ती जा रही है। दिन-प्रतिदिन प्रौद्योगिकी के नये-नये आयाम से सभी घिरते जा रहे हैं। पर्यावरण से छेड़छाड़ के कारण गंगा की अविरलता प्रभावित हुई है और गंगा की निर्मलता के बिना अविरलता की कल्पना नहीं की जा सकती। श्री कुमार ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार के कार्यो की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार पहला राज्य है, जहां पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। प्रारंभिक शिक्षकों के नियोजन में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित किये गये हैं। इसी तरह बिहार पहला राज्य जहां पुलिस भर्ती में भी 35 प्रतिशत स्थान महिलाओं को स्थान आरक्षित किये गये और अब तो राज्य सरकार की सभी नियुक्तियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित कर दिये गये है।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र और लेखक तुषार गांधी ने देश की कई ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज भी चंपारण और मोतिहारी के किसान अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। आज भी वह अपनी हक की आवाज उठा रहे हैं, लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि बिहार में शराबबंदी का सफल प्रयोग कर इन्होंने दिखा दिया है कि सामाजिक बदलाव किसे कहते हैं। उन्होंने ‘गांधी मार्ग’ को कठिन बताया और कहा कि इस कठिन मार्ग पर चलने की बजाए आजकल ज्यादातर लोगों द्वारा गांधी की भक्ति की जाती है, क्योंकि वह आसान है। गांधी मार्ग पर चलना कठिन है, इसलिए उस मार्ग पर चलने की ताकत बहुत कम लोगों में होती है। संगोष्ठी को प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक एवं गांधी संग्रहालय के सचिव डा0 रजी अहमद, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय ने भी संबोधित किया। इस मौके पर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री एवं विधायक श्याम रजक, पूर्व मंत्री एवं राजद के प्रदेश अध्यक्ष डा. रामचन्द्र पूर्वे, सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। 

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