नयी दिल्ली 25 मई, सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ सत्ता में आयी मोदी सरकार पर तीन साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा लेकिन पाकिस्तान, कश्मीर, महंगाई, बेरोजगारी और विदेशों से काला धन वापस लाने जैसे मसलों को लेकर उस पर विफलता के आरोप लगे। वर्ष 2014 में 26 मई को अस्तित्व में आयी मोदी सरकार ने नये भारत के निर्माण का संकल्प व्यक्त किया और सरकार की कार्य संस्कृति बदलने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा उसने कई साहसिक निर्णय लेकर आलोचकों के मुंह बंद कर दिये। इनमें नोटबंदी, जीएसटी, रेल बजट को आम बजट में मिलाना, बजट पेश करने के समय बदलना तथा पाकिस्तान के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक अहम हैं। सत्ता संभालते ही ‘ना खाउंगा न खाने दूंगा’ का एलान करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने के लिये न केवल नोटबंदी के जरिये पांच सौ और एक हजार के नोट पर रोक लगाने का ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया बल्कि बेनामी संपत्ति पर रोक लगाने और रियल एस्टेट कारोबार में पारदर्शिता लाने का कानून बनाया। उनके लगातार प्रयासों से देश नकदी रहित लेनदेन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा। भ्रष्टाचार दूर करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये लेकिन वह अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर पायी है जिससे उसे विपक्ष की आलोचना झेलनी पड़ रही है। विपक्ष में रहते आधार संख्या का विरोध करती रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्ता में आने के बाद आधार को कानूनी जामा पहनाया और पैन कार्ड के साथ-साथ अपनी सभी योजनाओं को इससे जोड़ दिया। इसके कारण निजता के हनन और व्यवहारिक दिक्कतों के चलते इसका विरोध हो रहा है और यह मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया जहां अभी इस पर अंतिम फैसला आना बाकी है।
शुक्रवार, 26 मई 2017
सरकार पर नहीं लगा भ्रष्टाचार का दाग
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