कोलंबो, 12 मई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज श्रीलंका को उसकी राष्ट्र निर्माण पहल में भारत के पूर्ण सहयोग का आश्वान देते हुए कहा कि नयी दिल्ली उसका मित्र और सहयोगी बना रहेगा । प्रधानमंत्री ने श्रीलंकाई नागरिकों की आर्थिक समृद्धि एवं द्विपक्षीय विकास सहयोग को गहरा बनाने पर जोर दिया । अंतरराष्ट्रीय बैसाख दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि वह मानते हैं कि सामाजिक न्याय और सतत विश्व शांति की विचारधारा बुद्ध के उपदेशों से मेल खाती है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमारे क्षेत्र का सौभाग्य है कि हमने दुनिया को भगवान बुद्ध और उनकी शिक्षा का तोहफा दिया । भगवान बुद्ध का संदेश आज 21वीं सदी में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना वह ढाई हजार साल पहले था। प्रधानमंत्री ने कहा, बौद्ध धर्म और उसके विभिन्न पंथ ‘‘हमारे प्रशासन, संस्कृति और सिद्धांतों’’ में गहरी पैठ बनाए हुए हैं। मोदी ने कहा कि दक्षिण, मध्य, दक्षिण पूर्व और पूर्व एशिया को उनके बौद्ध धर्म आधारित संबंधों पर गर्व है जो बुद्ध की धरती से जुड़ी है। प्रधानमंत्री ने श्रीलंका को उसकी राष्ट्र निर्माण पहल में भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया । मोदी ने कहा वह मानते हैं कि भारत और श्रीलंका अपने संबंधों के महान अवसर के मुहाने पर खड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ आप भारत को अपने मित्र, सहयोगी के रूप में पायेंगे जो आपके राष्ट्र निर्माण पहल में आपका सहयोग करेगा । ’’ उन्होंने दोनों देशों को भगवान बुद्ध के शांति, सामंजस्य और करूणा के मूल्यों का नीतियों एवं आचार में समावेश करने पर जोर दिया । प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीलंका के साथ भारत का 2.6 अरब डालर के विकास सहयोग का मकसद लंका का अपने लोगों के शांतिपूर्ण, समृद्ध और सुरक्षित भविष्य के निर्माण के लिए है। उन्होंने कहा कि भारत का तीव्र विकास सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए लाभकारी है विशेष तौर पर श्रीलंका में आधारभूत संरचना, कनेक्टिविटी, परिवहन और उर्जा के क्षेत्र में हम सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं । मोदी ने कहा कि भारत, श्रीलंकाई नागरिकों की आर्थिक समृद्धि एवं द्विपक्षीय विकास सहयोग को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शुक्रवार, 12 मई 2017
चीन संबंधी चिंताओं के बीच मोदी ने श्रीलंका को भारत के सहयोग का भरोसा दिलाया
Tags
# देश
# विदेश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
विदेश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें