कभी गरीबों का निवाला रहा बाटी चोखा, अब बना शाही भोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 12 जून 2017

कभी गरीबों का निवाला रहा बाटी चोखा, अब बना शाही भोजन

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देवरिया, 11 जून, कभी उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके और पड़ोसी राज्य बिहार के गरीबों का निवाला रहा बाटी-चोखा अब बदलते जमाने में शाही लोगों का पसन्दीदा भोजन बनता जा रहा है। पुराने जानकार बताते हैं कि कभी प्रदेश के देवरिया, गोरखपुर, बलिया, मऊ, गाजीपुर, बस्ती, कुशीनगर समेत बिहार के सीवान, छपरा, गोपालगंज, पश्चिम चम्पारण आदि जिलों में बाटी चोखा गरीब तबके का मुख्य भोजन हुआ करता था। बस स्टैण्ड के पास बाटी की दुकान लगाने वाले 58 वर्षीय भगत राम ने बताया कि बदलते परिवेश में गरीबों का यह भोजन बड़े-बड़े लोगों का शाही भोजन बन गया है। अब तो साधारण बाटी- चोखा शादी ब्याह की पार्टियों के साथ बड़े लोगों का शौकिया भोजन बनता जा रहा है। बदलते परिवेश में बाटी चोखा का स्वरूप भी बदलने लगा है। लोग इसे अब शाही विधि-विधान से बनवाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि यह गरीबों का मुख्य भोजन इसलिये भी कहा जाता था कि इसे गरीब लोग कहीं भी कण्डा की आग तैयार कर उस पर बाटी चोखा तैयार कर अपनी क्षुधा को शान्त कर लेते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर बाटी-चोखा के बहुत ही शौकीन थे। अब बाटी के साथ कई प्रकार के मिक्स चोखे के साथ देशी घी का प्रयोग भी शाही बाटी चोखे में होने लगा है। भगत राम का कहना है गरीबों के इस भोजन को पूर्वी उत्तर प्रदेश से ले जाकर स्व. चन्द्रशेखर ने देश की राजधानी दिल्ली तक बड़े-बड़े लोगों को इसका स्वाद चखाया था। लोग बताते है कि स्व. चन्द्रशेखर अपने यहां महीने, दो महीने पर राजधानी में बड़े- बड़े लोगों को बाटी चोखा की दावत देते रहते थे। बाटी-चोखा के शौकीन बताते हैं कि यह भोजन जहां स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हितकर माना जाता है वहीं यह सुपाच्य भी है। इसको बनाने के लिये गोबर के कण्डे को जलाकर आटे की लोई को गोल-गोल बनाकर आग की हल्की आंच पर सेंका जाता है और उसी आग मे आलू भूनकर चोखा तैयार करते हैं। इस सादे भोजन में न तो मसाले का प्रयोग होता है और न ही अधिक तेल आदि का। बाटी चोखे को पहले गरीब कम लागत में तैयार कर अपना निवाला बनाते थे। गरीब लोग आलू का चोखा नमक और मिर्च डालकर बनाते थे। अब तो बाटी चोखा शादी विवाह के भोजन में विशेष डिश बनता जा रहा है। देवरिया शहर में बाटी चोखा की करीब 25 से अधिक दुकानें खुली हैं, जहां लोग शौकिया तौर पर भोजन करते दिखाई पड़ते हैं। बाटी चोखा के दुकानदार रामलाल ने बताया कि हमारे दुकान पर गरीब से लेकर बड़े- बडेलोग बाटी चोखा खाने आते हैं। उसने बताया कि दिन में ऐसे लोग आते है जो कम पैसे में अपनी भूख शांत करते हैं, लेकिन रात के समय गरीब लोगों के साथ बडे-बडे शौकिया लोग भी आते हैं जो अपने दोस्तों के साथ आकर भोजन करते हैं।

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