नयी दिल्ली, 11 जून, सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों के आंदोलन के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एक किसान संगठन ने इस संकट के लिए केंद्र की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें अविवेकपूर्ण बताया। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि किसान केंद्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि उन्हें फसलों और कृषि उत्पादों के अधिक मूल्य मिलने चाहिए। मिश्रा ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार उपभोक्ताओं और खाद्य पदाथोर्ं की बढ़ती कीमतों के बारे में किसान से ज्यादा चिंतित है। वे सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि किसान कृषि सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीद रहे हैं तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य क्यों मिलना चाहिए। मिश्रा ने कहा कि सरकार को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री मूल्य उत्पादन की लागत से 20-30 प्रतिशत अधिक हो। उन्होंने दालों का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पहले इसकी खेती को प्रोत्साहित किया और फिर सस्ती दालों का आयात किया। उन्होंने कहा, ‘‘परिणाम यह है कि आज किसानों को उनके उत्पादों के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं।’’ मिश्रा ने कहा कि सरकार ने गेहूं पर आयात कर कम कर दिया जबकि इस साल बंपर फसल हुई थी। हालांकि मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन पर मिश्रा ने कहा कि राज्य में मौजूदा संकट ‘कुछ उपद्रवी’ तत्वों द्वारा रचा गया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि किसान निराश हैं क्योंकि राज्य सरकार उनकी फसल खरीदने के लिए आवश्यक बंदोबस्त नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि बीकेएस 15 जून से सभी संभाग मुख्यालयों पर राज्य सरकार की ‘‘किसान विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ बेमियादी धरना शुरू करेगा।
रविवार, 11 जून 2017
RSS से जुड़े किसान संगठन ने कहा, केंद्र की नीतियों की वजह से किसान संकट में
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