लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में खबर नहीं मिलती है। पार्टी कार्यालय में खबरों का अकाल हो गया है। राजद अब भाजपा के कारण खबरों में जीवित है। भाजपा विधायक दल के नेता सुशील कुमार मोदी लालू यादव के परिवार के पीछे ‘हाथ धोकर’ पड़ गये हैं और हर दिन कुछ-न-कुछ राजद से जुड़ी खबरों का ‘चारा’ पत्रकारों को थमा देते हैं।
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा और उनकी टीम के सदस्य सुशील मोदी के आरोपों को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताने के लिए प्रेस वार्ता करते हैं और पत्रकारों को रिलीज का पुलिंदा थमा देते हैं। इसमें खबर बड़ी मुश्किल से मिलती है। इधर राजद के चार विधायकों को प्रवक्ता की जिम्मेवारी सौंपी गयी है। जिन विधायकों को प्रवक्ता बनाया गया है, उसमें समीर कुमार महासेठ, राजेंद्र राम, एज्या यादव और अख्तरूल इस्लाम शाहीन शामिल हैं। लेकिन इन प्रवक्ता के पास मनोज झा से ज्यादा बोलने के लिए कुछ भी नहीं है।
वस्तुत: राजद 10 सर्कुलर रोड में सिमट गया है। वहीं से ट्विटर, फेसबुक से लेकर प्रेस रिलीज तक जारी होती है। इस काम में राजद के प्रवक्ताओं की कोई भूमिका नहीं होती है। लालू यादव की ‘ट्विटर वेदना’ अपने आप में बड़ी खबर होती है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ट्विटर के साथ फेसबुक के माध्यम से भी अपना पक्ष रखते हैं। बाकी काम के लिए प्रेस रिलीज है। चैनल वाले खबरों के लिए लालू यादव और तेजस्वी यादव से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। कभी-कभार मनोज झा जरूर झलक दिखला जाते हैं।
यह विडंबना ही है कि इन दिनों राजद से जुड़ी नकारात्मक खबरें ही चर्चा में हैं और चैनलों की बहस में भी। इन खबरों में राजद का पक्ष रखना भी भारी पड़ता है। वैसी स्थिति में एंकर अपने मन से चीजों की व्याख्या करते हैं और लगभग हर व्याख्या लालू यादव के खिलाफ ही जाती है। इसके बावजूद यदि राजद प्रवक्ताओं के पास पार्टी का पक्ष रखने के पर्याप्त तथ्य और तर्क नहीं हैं तो मुश्किल राजद बिट देखने वाले पत्रकारों की भी बढ़ सकती है। क्योंकि तथ्य के अभाव में वे भी एंकरों की भाषा ही लिखेंगे, जो राजद के सेहत के अनुकूल नहीं होगी।
साभार : वीरेंद्र यादव
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