बिहार : किसानों के समर्थन में आन्दोलन पर प्रस्ताव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 29 जून 2017

बिहार : किसानों के समर्थन में आन्दोलन पर प्रस्ताव

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पटना, 29 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बिहार राज्य परिषद के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने प्रेस वार्ता के दरम्यान पार्टी के द्वारा किसान आंदोलनों के समर्थन में पार्टी की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर आगामी 24 से 26 जुलाई, 2017 तक राष्ट्रव्यापी जेल भरों अभियान की जानकारी देते हुए पार्टी द्वारा स्वीकृत निम्नलिखित प्रस्ताव जारी किये।  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ज्वलंत सवालों और कृषि क्षेत्रों तथा ग्रामीण  जनता की वाजिब मांगें पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न राज्यों में चल रहे किसानों के आन्दोलनर का समर्थन करती है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद अपनी इकाइयों का आह्वान करती है कि देष भर में तीन दिनों तक ‘जेल भरों’ और दूसरे प्रभावषाली आन्दोलन 24 से 26 जुलाई तक निम्नलिखित मांगों को लेकर चलावें। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करो। भारत सरकार एक लाख करोड़ रूपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनावें। प्रगतिशली भूमि सुधारों को लागू करों और बेघरों के लिए घर बनाने के वास्ते 5 डिसमिल जमीन सुनिष्चित किया जाय तथा पर्चाधारियों को जमीन पर कब्जा दिलाया जाय।  इन्पुट का खर्च घटाया जाय और खासकर कृषि इन्पुट जैसे, वीज, खाद, कीटनाषक, डीजल आदि को जीएसटी से मुक्त रखा जाय। राष्ट्रीयकृत बैंकों, सहकारिता बैंकों और अन्य कर्ज देने वाली एजेसियों के कर्जों को कर्ज माफी योजना के मातहत लाया जाय।  मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण कानून 2014 में संषोधनों को वापस लिया जाय।   अप्रत्याशित कृषि संकट पर प्रस्ताव आज देष अप्रत्याषित कृषि संकट के चंगुल में फंसा हुआ है। देष भर में किसानों के लिए यह संकट असहनीय हो गया है। इस संकट का मुकाबला करने में अपने को अक्षम पाकर किसान सडकों पर उतर कर ‘करो या मरो’ की मुद्रा में हैं। यद्यपि चल रहा कृषि संकट नव-उदारवादी नीतियों की देन कहा जा सकता है, लेकिन मौजूदा संकट आर.एस.एस.-भाजपा नेतृत्व वाली नरेन्द्र मोदी सरकार का सृजन है, जिसने अपने चुनाव अभियान के दौरान किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसने इस संबंध में कुछ नहीं किया। इसके बदले कारपोरेट सहयोगियों को विभिन्न रूपों में करोड़ों रूपये की छूट देने के साथ-साथ कारपोरेट घरानों के कर्जों को माफ कर रही है। 


  
आग में घी डालते हुए भारतर सरकार ने जिसकी नीति अमरीका और विष्व व्यापार संगठन को समर्पित है, उन सामग्रियों के आयात की अनुमति दे दी है, जिनका बम्पर भंडार हमारे देष में मौजूद है। बाहरी वस्तुओं पर से आयात कर स्थगित कर दिया गया है। उदाहरण स्वरूप किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को नजर अन्दाज करके 30 लाख टन गेहूँ का आयात किया जा रहा है और 1,650 रू॰ प्रति क्वींटल न्यूनतम समर्थन मूल्य से 450 रूपये प्रति क्वींटल घाटा उठाकर 1100 से 1200 रू॰ प्रति क्वींटल गेहूँ बेचने के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा है। यहां तक कि दालों का भी ऊँचे मूल्य पर आयात किया जा रहा है। ऐसी उपेक्षापूर्ण तथा अन्यायपूर्ण आयात की स्थिति में किसानों ने आन्दोलन का रास्ता चुना है, जो समूचे देष में फैलता जा रहा है। 5 जून, 2017 को मध्य प्रदेष के मंदसौर में पुलिस ने आन्दोलित किसानों पर गोलियाँ चलायी; जिसमें सात किसानों और खेत मजदूरों की मौत हो गई। महाराष्ट्र के किसानों ने, जिन्होंने अपनी कृषि भूमि का अवैध अधिग्रहण और अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने की मजबूरी के खिलाफ आन्दोलन शुरू किया और राज्यव्यापी बंद संगठित करके भाजपा राज्य सरकार को अपनी मांगों, जिनमें कर्ज माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य भी हैं, और किसान पेंषन भी शामिल हैं, को सिद्धांत रूप से मान लेने के लिए मजबूर कर दिया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दुख के साथ नोट करती है कि उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण को लागू होने के बाद पिछले डेढ़ दषक में 5 लाख से अधिक किसानों ने कठोर दबाव के कारण आत्म हत्या की और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। नेषनल क्राइम रिकर्ड ब्यरों के अनुसार भाजपा के पिछले तीन साल के शासन में सबसे ज्यादा किसानों ने महाराष्ट्र में आत्महत्या की उसके बाद मध्य प्रदेष, कर्नाटक, पंजाब का स्थान आता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रतिदिन 35 किसान आत्महत्याग कर रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दृढ़मत है कि कृषि संकट, खासकर जारी किसान अषान्ति को ग्रामीण भारत की आवष्यकता से जोड़कर हमारी आर्थिक नीति बनाये बिना नहीं रोका जा सकता और न इसका समाधान हो सकता है। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद मध्य प्रदेष, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेष, पंजाब, झारखंड, आन्ध्र प्रदेष, तमिलनाडू, तेलंगाना और महाराष्ट्र के और अन्य राज्यों के किसानों को जायज मांगों पर उनके आन्दोलन के लिए बधाई देती है। किसानों के चल रहे आन्दोलन स्वामीनाथन के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय आयोग की सिफारिषों पर आधारित मांगों पर आम सहमति की ओर बढ़ रहे हैं। 
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों से मांग करती है कि निम्नलिखित मांगों को फौरन हाथ में ले।  स्वामीनाथन आयेाग की सिफारिषों को समग्रता में शीघ्र लागू करों।कृषि इन्पुट का लागत व्यय को कम करो। बीज, खाद, कीटनाषक, डीजल, पंपिंग सेट और जेनरेटर पर शून्य टैक्स हो। यानी इनका जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाय। कृषि उत्पाद के गिरते मूल्य को रोकने के लिए सरकार एक लाख करोड़ रूपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष सृजित करे। राष्ट्रीय बैंकों, सहकारी बैंकों और अन्य एजेंसियों से लिये कर्जों को कर्ज माफी योजना के तहत लाया जाय।  सभी पुरूष एवं महिला किसानों, खेत मजदूरों एवं ग्रामीण दस्तकारों, जिनकी उम्र 60 साल हो, को केन्द्र और राज्य सरकार दस हजार रूपया प्रतिमाह पेंषन दे। प्रगतिषील भूमि सुधारों को लागू करो और ग्रामीण बेघरों को घर के लिए आठ सेंट जमीन दो तथा पर्चाधारियों को युद्ध स्तर जमीन पर कब्जा दिलाओ।  मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 में संषोधन को वापस लो।

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