नयी दिल्ली, 18 जुलाई, विशिष्ट पहचान संख्या (आधार) की अनिवार्यता को निजता के अधिकारों का उल्लंघन मानने या न मानने के मसले पर उच्चतम न्यायालय की नौ-सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी। आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए गठित उच्चतम न्यायालय की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने आधार की अनिवार्यता को निजता के अधिकारों का उल्लंघन मानने या न मानने का मसला आज नौ-सदस्यीय संविधान पीठ को सुपुर्द कर दिया। पिछले दिनों न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने याचिकाकर्ताओं को इस मामले में संविधान पीठ के गठन के लिए मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करने की सलाह दी थी। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर ने याचिकाकर्ताओं के इस अनुरोध पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया था, जिसमें उनके अलावा न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश ने आधार मामले की सुनवाई के लिए 18 और 19 जुलाई की तारीख मुकर्रर की थी। तय समय के अनुसार संविधान पीठ ने आज सुनवाई की। इस दौरान उसने एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल तथा याचिकाकर्ताओं के वकीलों- गोपाल सुब्रह्मण्यम, श्याम दीवान और अरविंद दातार- की दलीलें सुनने के बाद आधार की अनिवार्यता को निजता के अधिकारों का उल्लंघन मानने या न मानने के मसले के निर्धारण का जिम्मा नौ-सदस्यीय संविधान पीठ को सुपुर्द कर दिया। अब नौ-सदस्यीय संविधान पीठ इस मुद्दे पर कल सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने आयकर अधिनियम की धारा 139(एए) को चुनौती दी है, जिसमें पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य बनाया गया है।
बुधवार, 19 जुलाई 2017
आधार मामला: निजता के अधिकार का मामला नौ-सदस्यीय संविधान पीठ को सुपुर्द
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