नयी दिल्ली 02 जुलाई, सिक्किम की सीमा पर वर्तमान गतिरोध इस मायने में अभूतपूर्व है कि चीन ने भारत एवं भूटान के साथ पुराने समझौतों को दरकिनार करके पहली बार सीधे ‘चिकेन नेक’ की ओर हाथ बढ़ाने की कोशिश की है जिससे भारतीय कूटनीतिक एवं सामरिक हलकों में गहरी चिंता व्याप्त हो गयी है। चीन द्वारा भूटान के विवादित सीमा क्षेत्र का इस्तेमाल करके एकतरफा ढंग से यथास्थिति को बदलने के प्रयास के बावजूद भारत इस समय बहुत संयम से काम ले रहा है और वह इस मसले काे त्रिपक्षीय बातचीत के माध्यम से ही समाधान निकालने का पक्ष ले रहा है। दोनों देशों के बीच सिक्किम क्षेत्र में बढ़ती तनातनी का मुख्य वजह पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाले भारतीय जमीन के उस टुकड़े को माना जा रहा है जिसे 'चिकेन नेक' के नाम से जाना जाता है। भारत के लिये इस क्षेत्र का सामरिक महत्व करीब साढ़े तीन हज़ार किलोमीटर लंबी भारत चीन सीमा पर किसी अन्य बिन्दु से कहीं ज़्यादा है क्योंकि दोकालम क्षेत्र में चीनी सेना के प्रहार की रेंज में सीधा सिलीगुड़ी का ‘चिकेन नेक’ इलाका आ जायेगा। ‘चिकेन नेक’ यानी मुर्गे की गर्दन शब्द का प्रयोग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लेकिन कमज़ोर क्षेत्रों के लिये किया जाता है। पश्चिम बंगाल के उत्तरी जिले सिलीगुड़ी में भूटान, नेपाल और बंगलादेश के बीच पूर्वोत्तर की ओर जाने वाले 40 गुणा 40 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को चिकेन नेक कहा जाता है और भारत ने इसे हमेशा चीन के सैन्य दुस्साहस से बचाने के लिये अहम मान कर सैन्य सुरक्षा इंतज़ाम किये हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चिकेन नेक पर हमला करके चीनी सेना समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र को निशाना बना सकती है। इसी लिए भारत के लिये यह अधिक ज़रूरी है कि वह चीनी सेना को दोकालम क्षेत्र में पक्की सड़क बनाने और एकतरफा ढंग से काबिज होने से रोके। उधर चीन ने इस मामले में आक्रामक रुख अपनाया है और उसने भारत पर दबाव बनाने के लिए नाथूला दर्रे से होकर जाने वाली कैलास मानसरोवर की यात्रा रोक दी है।
सोमवार, 3 जुलाई 2017
चीन ने पहली बार ‘चिकेन नेक’ की ओर बढ़ाया हाथ
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