फारुक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की जमकर आलोचना की - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 जुलाई 2017

फारुक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की जमकर आलोचना की

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श्रीनगर 29 जुलाई, जम्मू कश्मीर में मुख्य विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से हस्तशिल्प, सूखे मेवों और पर्यटन उद्योग के लिये छूट पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को आड़े हाथों लिया है। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से सांसद श्री अब्दुल्ला ने सुश्री मुफ्ती और केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की मुलाकात को कश्मीरी लोगों के साथ धोखा करार देते हुये आज यहां गंदेरबल जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुये यह बात कही। श्री अब्दुल्ला ने कहा, ' या तो सुश्री मुफ्ती ने जीएसटी विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल में पारित होने से पहले इसके प्रावधानों के बारे में जानकारी लेना उचित नहीं समझा या वह स्पष्ट रूप से अब कश्मीरी लोगों को मूर्ख बना रही हैं। जब यह विधेयक पारित ही हो गया है तो कुछ चीजों के लिये छूट की मांग करना सिर्फ एक ड्रामा ही है। ' श्री अब्दुल्ला ने कहा कि जब राज्य के सभी कारोबारी इस आशंका से ग्रस्त थे कि जीएसटी राज्य के छोटे तथा मध्यम श्रेणी के उद्यमों के लिए अच्छा साबित नहीं होगा तो उस समय उन्होंने अपना रवैया ऐसा दर्शाया कि वह कानून की सबसे बड़ी समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा कौन सा मुख्यमंत्री होगा जो एक दिन जीएसटी के लिये शर्त लगायेगा और अगले दिन यह कहेगा कि जीएसटी से हमें नुकसान हुआ है। उन्होंने राज्य की भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार के आचरण को असंगत और भ्रामक करार देते हुये कहा कि ये एेसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे इनके पास सोचने समझने की शक्ति नहीं है और सुश्री महबूबा की अक्षमता के कारण राज्य के लोगों को तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच शांति प्रक्रिया शुरू करने के अपने रूख को दोहराते हुये डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा सुलझे बिना राज्य में शांति बहाल नहीं होगी। उन्होंने कहा, 'मैं दोनों देशों से अपील करता हूं कि वे स्थिति की गंभीरता को देखते हुये तत्काल बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें और इसमें राज्य के संबद्व पक्षों को भी शामिल करना है। मौजूदा केंद्र सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीतियों से सीख लेनी चाहिये जो बातचीत की प्रक्रिया के कट्टर समर्थक थे। इसी मामले को लेकर एक बार श्री बाजपेयी ने कहा था कि दोस्त बदले जा सकते हैं लेकिन पड़ोसियों को कभी नहीं बदला जा सकता है। उनका इशारा सीधे तौर पर पाकिस्तान की ओर था।

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