पटना : फिलवक्त राजधानी में बेअसर साबित होने लगी हैं शराबबंदी. मजे से महुआ,छुआरा,किशकिश और मिठ्ठा से शराब बना रहे हैं.वहीं मजे से गंजेड़ी गांजा कश छोड़ते हैं. क्या दिव्यांगों को गांजा बेचने की हरी झंडी सरकार दे रखी है? इस पर आप नहीं कहेंगे.जो सही भी है.यह क्या मक्खन चौधरी का दिव्यांग पुत्र शत्रुध्न चौधरी दलील देने लगे. वे कहने लगे कि हमलोगों की जिंदगी देखकर सरकार गांजा बेचने की छूट दे रखी है. इसी लिए दिव्यांगों को व्हीलचेयर में बैठकर गांजा बेचते देख सकते हैं. नवाबकोठी,दीघा के सामने मुख्य मार्ग पर व्हीलचेयर पर बैठे शत्रुध्न चौधरी कहते हैं कि राइट हैंड साइड में लकवा मार दी है. तीन साल हो रहा है. मतदाता प्रमाण पत्र बना लिये है. प्रमाण पत्र 2005 में बना था. उस समय 19 साल के थे. 2016 में दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू की गयी. 2005 में 11 जोड़कर 2016 साल बना दिया. इसी को आधार मानकर विकलांग प्रमाण पत्र में उम्र 11 साल लिख दिया. निर्गत प्रमाण पत्र बर्बादी के मुहान पर ढकेल दिया. दिव्यांगों के साथ सहानुभूति रखने वाली मिशनरी संस्था ने स्वरोजगार का पैकेज लेकर आयी.शर्त यह था कि विकलांग प्रमाण पत्र और 18 से अधिक उम्र.इसके बाद शत्रुध्न गंभीर हो जाता है. राज्यकर्मियों के कारण ही गांजा बेचने के दलदल में फंस गया. इसके दो साथियों को मिशनरी से स्वरोजगार करने के लिये पर्याप्त राशि मिली.सभी मस्ती से जीवन निर्वाह कर रहे हैं. वह खुलासा करता है कि बांसकोठी में रहने वाला दिव्यांगों से गांजा बिकवाता है. बदले में दैनिक 300 रू.मजदूरी देता है. इसके बाद 30,50 और 100 रूपये की पुड़िया है. दिनभर में 1500 रू. का गांजा बेच लेता है. यह सिलसिला 3 वर्षों से जारी है. दीघा थाना क्षेत्र में आराम से बेचता है. थाना पुलिस की नजर शराब पर केंद्रित नहीं है. दीघा हॉल्ट के पास भी व्हीलचेयर पर गांजा बेचते देखे जा सकते हैं.आई.टी.आई.महिला छात्रावास के पास गंजेड़ी गांजा पीते दिख पड़ते हैं. कुर्जी -बालूपर चीलम बनाया जाता है. इस शख्स को देखे. चीलम की प्रारंभिक अवस्था है. हरेक दिन सैकड़ों चीलम बनाते और बेचते हैं.5 रू में बिकता है.
मंगलवार, 11 जुलाई 2017
बिहार : शराब पर भारी गांजा, मजे से गंजेड़ी गांजा का कश लेते रहते
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