दुमका (अमरेन्द्र सुमन) अच्छी पढ़ाई के लिए सप्ताह भर पूर्व घर से आधार कार्ड, दो सेट कपड़ा व बड़ी मम्मी से किताब-कॉपी खरीदने के नाम पर कुछ पैसा लेकर घर से भागी आदिवासी छात्रा मोनिका को चाईल्ड लाईन, वीरभूम (प0 बंगाल) की महिला टीम ने बाल कल्याण समिति (बैंच आॅफ मजिस्ट्रेट) दुमका के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे तत्काल आॅफटर केयर होम, दुमका के लिये भेज दिया गया। सी डब्ल्यू सी के चेयरमेन अमरेन्द्र कुमार यादव ने उपरोक्त की जानकारी देते हुए कहा कि उप राजधानी दुमका के शिकारीपाड़ा थानान्तर्गत अमचुआँ गाँव की 11 वर्षीय आदिवासी छात्रा मोनिका के घर में पढ़ने का कोई माहौल नहीं था। मोनिका के माता-पिता पढ़ाई छोड़ खेतों में काम करने का दबाव बनाया करते थे। इसके लिये प्रतिदिन उसे डाँटा भी जाता था। स्कूल के शिक्षक ने बैंक में खाता खुलवाने कहा था किन्तु घरवाले नहीं खाता नहीं खुलवा रहे थे। बार-बार कहने उसे झिड़क दिया जाता था। सीडब्लूसी चैयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि बालिका ने समिति के समक्ष स्वीकार किया कि इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने की इच्छा व वहाँ अपनी व्यथा सुनाने के बाद उसे पढ़ने का अवसर प्रदान होगा। अंततः माँ-बाप व घरवालों की इच्छा के विपरीत बालिका बस से मुड़ाबहाल की ओर प्रस्थान कर गई। मुड़ाबहाज से ट्रेन के माध्यम से सैंतिया पहुंच गई। ट्रेन उतरने के बाद बालिका एक बुजुर्ग महिला के पीछे-पीछे चलने लगी। अकेली बच्ची को देखकर बुजुर्ग महिला ने पहले उसका परिचय प्राप्त किया। बाद में वह उसे अपने घर ले गई। दूसरे दिन सुबह बुजुर्ग महिला ने स्थानीय थाना में बच्ची को सुपुर्द कर दिया। उसके बाद से लगातार बालिका सीडब्ल्यूसी बीरभूम के संरक्षण में थी। दिन मंगलवार को चाइल्ड लाइन बीरभूम की महिला टीम ने उसे सीडब्लूसी, दुमका में प्रस्तुत किया। समिति की ओर से बालिका की कॉउंसलिंग की गई, पर बालिका ने घर जाने से इंकार कर दिया। समिति से उसने अपनी पढ़ाई लिखाई की व्यस्था का आग्रह किया। समिति के समक्ष उपस्थित बालिका के माता-पिता ने अपनी असमर्थता प्रकट करते हुए कहा कि यदि उनकी बेटी यहीं रहना चाहती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा हमलोग गरीब आदमी हैं। खेती-बारी कर किसी तरह अपना गुजारा करते है। खदान-क्रेशर भी बंद हो गया है। बालिका के पिता ने कहा अपनी बच्ची को पढ़ाने में वे पूरी तरह असमर्थ हैं। समिति के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार यादव व सदस्य शकुंतला दुबे ने सारे पहलुओं पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया कि बालिका को आफ्टर केयर होम में रखा जाय ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रह सके। आगे की पढ़ाई के लिये कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में नामांकन के लिये जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र लिखने की बात पर सहमति बनी। इस अवसर पर एलपीओ अनिल मोहन ठाकुर, आफ्टर केअर होम के हाउस फादर धर्मेंद्र पांडेय वगैरह मौजूद थे।
मंगलवार, 25 जुलाई 2017
दुमका : घर से भागी छात्रा को सीडब्लूसी ने दिया आश्रय, बालिका ने घर जाने से किया इंकार
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