विकास एवं अनुसंधान के लिए सरकार के प्रयास अपर्याप्त : उपराष्ट्रपति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 29 जुलाई 2017

विकास एवं अनुसंधान के लिए सरकार के प्रयास अपर्याप्त : उपराष्ट्रपति

government-s-efforts-for-development-and-research-inadequate-ansar
नयी दिल्ली 28 जुलाई, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों की सराहना करते हुये आज कहा कि अनुसंधान एवं विकास पर सरकार द्वारा किया जा रहा खर्च काफी कम है तथा इस दिशा में सरकार के प्रयास अपर्याप्त हैं। श्री अंसारी ने संसदीय सौध में दो सप्ताह के विज्ञान प्रदर्शनी के उद्घाटन से पहले अपने संबोधन में कहा कि भारत वैज्ञानिक अनुसंधानों पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 0.9 प्रतिशत खर्च करता है जबकि चीन अपने जीडीपी का दो प्रतिशत, जर्मनी 2.8 प्रतिशत और इजरायल 4.6 प्रतिशत खर्च करता है। उन्होंने कहा, “मैं सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहा, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस तेजी से बदलते हुये प्रतिस्पर्द्धी युग में हम काफी पीछे हैं। हमें अपने-आप से पूछना चाहिये कि क्यों हर बजट में विज्ञान की प्राथमिकता काफी पीछे रहती है। अनुसंधान एवं विकास पर सरकार के प्रयास अपर्याप्त हैं।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि देश की रक्षा जरूरतों का 60 प्रतिशत हम आयात करते हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि विषम परिस्थितियों में हमारी नब्ज हमारे आपूर्तिकर्ता की हाथों में है। उन्होंने कहा, “वैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक प्रवृत्ति पैदा करने की जरूरत है। लेकिन, इस दिशा में भी हम काफी कम प्रयास देखते हैं।” श्री अंसारी ने कहा कि विशुद्ध विज्ञान में पीएचडी करने वालों की संख्या देश में काफी कम है। एप्लाइड साइंस का स्थान विशुद्ध विज्ञान के बाद आता है। उन्होंने कहा कि हम विज्ञान के लाभ का इस्तेमाल करने में काफी अच्छे हैं। लेकिन क्या हम वैज्ञानिक प्रक्रियाओं में भी उतने ही अध्यवसायी हैं? लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वैज्ञानिक अच्छा काम कर रहे हैं और देश में अच्छे शोध हो रहे हैं, उन्होंने कहा,“ जो हमारे जीवन से संबंधित हैं। हमें उनके बारे में जानना चाहिये।” उन्होंने कहा कि कई बार एक शोध के पूरा होने में 10-12 साल लग जाते हैं। इसके बाद भी कुछ सफल होते हैं और कुछ विफल होते हैं। लंबा समय लगने के कारण कंपनियाँ भी वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में निवेश नहीं करना चाहती हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से महिलाओं के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास की अपील की।

कोई टिप्पणी नहीं: