आधी रात से हुई जीएसटी की शुरुआत, पूरे देश में समान कर व्यवस्था लागू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 1 जुलाई 2017

आधी रात से हुई जीएसटी की शुरुआत, पूरे देश में समान कर व्यवस्था लागू

gst-implemented-from-midnight-uniform-tax-system-applicable-throughout-the-country
नयी दिल्ली 30 जून, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आज आधी रात को आजाद भारत के इतिहास के सबसे बड़े कर सुधार ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)’ को लागू करने की घोषणा करने के साथ ही ‘एक राष्ट्र-एक कर-एक बाजार’ की परिकल्पना साकार हो गयी, संसद के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में श्री मुखर्जी ने उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौडा तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी में देश में एक जुलाई से जीएसटी लागू करने का ऐलान किया। जीएसटी में 17 तरह के अप्रत्यक्ष करों और 23 उपकरो को समाहित किया गया है जिससे पूरे देश में माल का आवागमन सुगम होने के साथ ही एक वस्तु पर एक ही का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इससे कालेधन के सृजन पर रोक लगने की उम्मीद है। विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और वाम दलों ने जीएसटी समारोह का बहिष्कार किया। कांग्रेस ने यह कहते हुये आयोजन में शामिल नहीं होने की घोषणा की कि आजादी के जश्न की तर्ज पर संसद के केंद्रीय कक्ष में इसका आयोजन उचित नहीं है। तृणमूल कांग्रेस ने इसकी अधूरी तैयारियों का हवाला देते हुये इसे अभी कम से कम एक महीने टालने की मांग की है। जीएसटी पर वर्षाें पूर्व चर्चा शुरू हो गयी थी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जीएसटी पर चर्चा शुरू की थी लेकिन 2004 में उनकी सरकार के जाने के बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया था। फिर मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही इस पर जोरशोर से चर्चा शुरू हुयी और वर्ष 2011 में श्री मुखर्जी ने वित्त मंत्री के रूप में जीएसटी से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। लेकिन, तत्कालीन मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के भारी विरोध की वजह से यह विधेयक उस समय पारित नहीं हो सका।

कोई टिप्पणी नहीं: