नयी दिल्ली, 23 जुलाई, माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत प्रस्तावित मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण की नजर केवल उन मामलों पर रहेगी जो बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करने वाले होंगे या जहां एक करोड़ या उससे अधिक रुपये का ‘अनुचित लाभ’ कमाया जाएगा। गौरतलब है कि जीएसटी व्यवस्था के तहत जल्द ही एक पांच सदस्यीय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी प्राधिकरण का गठन किया जाना है। इसकी अध्यक्षता एक सचिव स्तर का अधिकारी करेगा। इस प्राधिकरण का काम उन व्यापारों की निगरानी करना होगा जो जीएसटी में कम की गई कर दरों का लाभ उपभोक्ताओं को हस्तांतरित नहीं करेंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इसे देखने में दो से तीन माह का वक्त लगेगा कि जीएसटी का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया गया या नहीं। तब तक इस प्राधिकरण का गठन कर लिया जाएगा। त्रिस्तरीय ढांचे के अनुरूप जीएसटी अनुपालन समिति शिकायतें प्राप्त करेंगी और जो शिकायतें राज्य विशेष होंगी या छोटी राशि की होंगी उन्हें राज्य स्तरीय निगरानी समिति के पास भेज दिया जाएगा। अन्य मामलों को महानिदेशक (सेफगार्ड) के पास भेज दिया जाएगा जो तीन महीने के भीतर जांच को पूरा कर अपनी रपट मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण को भेज देंगे जो तीन महीने की अवधि में आदेश देगी।
रविवार, 23 जुलाई 2017
एक करोड़ रुपये से अधिक के ‘अवांछित लाभ’ पर रहेगी जीएसटी अधिकारियों की नजर
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