वृन्दावन में हिंडोला उत्सव 26 जुलाई से - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 जुलाई 2017

वृन्दावन में हिंडोला उत्सव 26 जुलाई से

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मथुरा, 23 जुलाई,  वृन्दावन के हिंडोला उत्सव में ठाकुर जी स्वयं राधारानी को झूला झूलने का निमंत्रण देते है और फिर वे राधारानी को स्वयं झुलाते भी हैं। इस बार इस उत्सव का प्रारम्भ आगामी 26 जुलाई से हो रहा है। श्यामसुन्दर हरियाली तीज पर राधारानी से कहते हैंः- “राधे झूलन पधारो झुकि आए बदरा’’ हिंडोला एक प्रकार का ठाकुर जी का झूला है जिसे भक्त नाना प्रकार से सजाते हैं। जहां कुछ हिंडोले सोने- चांदी के बनाए जाते हैं, वहीं फल, फूल, मेवा, चन्दन, टाफी, बर्तन, अनाज आदि के हिंडोले भी ब्रज के मंदिरों में डाले जाते हैं। वैसे तो हरियाली तीज से वृन्दावन के प्रत्येक मंदिर में हिंडोला पड़ जाता है पर श्रद्धालुओं का सबसे अधिक आकर्षण बांकेबिहारी मंदिर का हिंडोला हीे होता है। लगभग सात दशक पुराना यह हिंडोला वर्ष में केवल एक बार ही निकलता है, इसे देखकर लगता है कि इसका निर्माण आज ही किया गया है। मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी के अनुसार स्वर्ण हिंडोले के आसपास सोने-चांदी की मानवाकार सखियां होती हैं। हिंडोले के आसपास के वातावरण को प्राकृतिक बनाया जाता है। हिंडोला उत्सव में स्वयं श्यामसुन्दर राधारानी को झूला झुलाते हैं। भक्तों पर प्रसाद स्वरूप पिचकारी से इत्र और गुलाबजल का मिश्रण डाला जाता है। श्री गोस्वामी जी ने बताया कि ठाकुर जी जहां मंदिर के जगमोहन से कुछ आगे विराजते हैं वहीं राधारानी की सेज मंदिर के जगमोहन में सजाई जाती है और वहां पर राधारानी और श्यामसुन्दर की युगल छवि विश्राम करती है। इस दिन वर्ष् में एक बार मंदिर में घेवर और फैनी का भोग लगाया जाता है। चूंकि इस दिन से ही वृन्दावन के सभी गोपाल मंदिरों में हिंडोला डाला जाता है इसलिए इस दिन वृन्दावन में मेला सा लग जाता है। इस दिन श्यामसुन्दर की अनूठी लीला एक बार फिर देखने को मिलती है। जिस प्रकार महारास में हर गोपी यह अनुभव करती है कि श्यामसुन्दर उसी के साथ रास कर रहे हैं उसी प्रकार वृन्दावन के प्रत्येक मंदिर में सेवायत एवं भक्त यह अनुभव करते है कि जिस मंदिर में वे दर्शन कर रहे हैं ठाकुरजी वहीं पर किशोरी जी को झूला झुला रहे हैं। वृन्दावन के रंग जी मंदिर में सभी परम्पराएं य़द्यपि दक्षिण भारत के मंदिरों जैसी चलती हैं पर हरियाली तीज से इस मंदिर में भी हिंडोला डाला जाता है। राधाबल्लभ मंदिर में हिंडोला में श्यामाश्याम के झूलन को देखने की होड़ सी लगी रहती है। वृन्दावन के राधारमण मंदिर में स्वर्ण एवं रजत हिंडोले डाले जा रहे हैं। 


इस प्राचीन मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेश चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि द्वादशी से ठाकुर जी पुष्प के कुंज में विराजमान होकर झूला झूलते हैं। पवित्रा द्वादसी पर श्रंगार आरती में रेशम या रुई की माला ठाकुर जी को अर्पित की जाएगी। इसके दर्शन बहुत अधिक शुभ माने जाते हैं। और पद का गायन होता है “राधारमण पवित्रा पहने। लाल हरित सित पीत गुलाबी शोभित वरण सुनहरे। अाचार्य जी का कहना था कि प्रिया प्रियतम कुंज में विराजमान होकर झूला झूलते हैं। इस मंदिर में हरियाली तीज पर सिंधारा का अनूठा भोग लगाया गया जो एक प्रकार का 56 भोग ही है । अंतर यह है कि 56 भोग में घेवर और फैनी नही रखी जाती जब कि सिंधारा भोग में इसे भी रखा जाता है। वृन्दावन के राधा दामोदर मंदिर में हिंडोला उत्सव की शुरूवात हरियाली तीज से ही होती है। इस मंदिर के हिंडोलों में मोरछड़ी और मोरपंखी का हिंडोला अपनी अमिट छाप छोंड़ता है। झूला के पदों का गायन होता है आज राधा श्याम रंगे ते झूलें, मदनमोहन मंदिर वृन्दावन के अजय गोस्वामी के अनुसार मंदिर में चांदी के हिंडोले के साथ साथ फूल, पत्ती का हिंडोला भी डाला जाता है। झूलनोंत्सव के अंतिम दिन रास होता है तथा ठाकुर अंतिम दिन कोतवाल बनते हैं तो राधारानी राजा बनती हैं। उस दिन राधारानी का चरणदर्शन भी होता है। इस मंदिर में हिंडोला उत्सव हरियाली तीज से प्रारंभ होकर नौ दिन तक चलता है। राधाश्यामसुन्दर मंदिर के महंत कृष्ण गोपालानन्द देव गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में हिंडोला प्राकृतिक सम्पदा का बनता है तथा विभिन्न प्रकार के फूल, रंग बिरंगी कलात्मक पत्तियों और गोटे से बना यहां का हिंडोला देखते ही बनता है।
इस मंदिर में घटा महोत्सव की शुरूवात भी इसी दिन से होती है। 

कृष्ण बलराम मंदिर,शाह जी मंदिर, गोरे दाउ जी समेत वृन्दावन के अन्य मंदिरों में हरियाली तीज से हिंडोला उत्सव शुरू होकर रक्षा बंधन तक चलता है। बरसाना और नन्दगांव में वैसे तो हिंडोला उत्सव की शुरुवात सावन के शुरू होते ही हो गई है किंतु विशेष आयोजन हरियाली तीज को होता है। नन्दगांव के समाजसेवी यतीन्द्र तिवारी ने बताया कि बरसाना के ही दादीबाबा मंदिर, वृषभान मंदिर, जयपुर मंदिर, अष्टसखी मंदिर,मोरकुटी और गोपाल मंदिर में तथा नन्द गांव के नन्दबाबा मंदिर में विशालकाय चांदी के हिंडोले में श्यामाश्याम के झूलन के दर्शन कर भक्त स्वयं को धन्य करतेे हैं। मथुरा के स्वामी नारायण मंदिर में तो हिंडोला उत्सव की धूम मची हुइ्र है। यहां पर पूरे सावन मास रोज तरह तरह के हिंडोले बनाए जा रहे हैं तथा इसमें प्रयोग की गई सामग्री को भक्तों में बांट दिया जाता है।

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