गैर जिम्मेदार बिल्डरों की नकेल है ‘रेरा’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 जुलाई 2017

गैर जिम्मेदार बिल्डरों की नकेल है ‘रेरा’

irresponsible-builders-reraनयी दिल्ली 23 जुलाई, बिल्डरों की मनमानी रोकने के लिए बनाया गया रीयल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी अधिनियम (रेरा) एक तरफ जहां मकान खरीदने वालों की हिताें की रक्षा करता है तो दूसरी तरफ कई गैर जिम्मेदार बिल्डरों के कामकाज को भी ठप कर सकता है। ऐसा कहना है अरेबियन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंध निदेशक अनी रे का। श्री रे ने  कहा,“ भारत का रेरा कानून दुबई और अमेरिकी मॉडल पर आधारित है। वहां जब 2009 में पहली बार रेरा लागू हुआ था तो कई कंपनियों को अपना कामकाज बंद करना पड़ा था। वास्तव में अधिकतर कंपनियों कानून के प्रावधानों का पालन करने में अक्षम थीं। वहां तब करीब 100 से अधिक कंपनियां बंद हुई थीं। भारत में भी वही डर है। जो लोग संगठित हैं और पैसे वाले हैं, वहीं बाजार में टिक पायेंगे। ” उन्होंने रेरा की तारीफ करते हुए कहा,“ भू संपदा के क्षेत्र में यह बहुप्रतीक्षित सुधार है और इस कानून की अच्छाई यह है कि इसके सामने बेईमान और गैरजिम्मेदार बिल्डर टिक नहीं पायेंगे। एक जगह से पैसे निकालकर उसे दूसरे क्षेत्र में निवेश करने का काम अब ज्यादा नहीं चल पायेगा। अब खरीदारों को इसका लाभ मिलेगा। यहां औसत भारतीयों के लिए घर गाढ़े पसीने की कमाई है। ” मुम्बई में 60 मंजिली इमारत‘ वर्ल्ड आई’ का निर्माण करा रहे श्री रे ने कहा कि रेरा के होने से लोग अब अधिक निश्चित रहेंगे। अब एक अथॉरिटी है, जहां वे अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए बस राज्यों को इस कानून में ज्यादा बदलाव किये बगैर इसे लागू करना होगा।


उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है और अन्य राज्य भी इसे लागू करने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा कि भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र का अब तक कोई ढांचा नहीं रहा है। यह कानून निसंदेह सभी को पेशेवर बना देगा क्योंकि इसके अलावा कोई विकल्प बचा ही नहीं है। यह बिल्डर्स, ठेकेदारों और प्रशासन के लिए अच्छा है और इसका लाभ आम लोगों को मिलेगा। श्री रे ने दुबई और भारत में रियल एस्टेट के कामकाज के अंतर को बताते हुए कहा था भारत में हर काम धीरे-धीरे होता है और यहां लगभग डेढ़ गुणा ज्यादा समय लगता है। यहां तक कि योजना और क्लीयरेंस भी चरणबद्ध तरीके से मिलती है जिससे समय अधिक लगता है। श्री रे ने देश की आर्थिक स्थिति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में किये जा रहे आर्थिक सुधारों के बारे में कहा कि मोदी -युग से भारत में कई सकारात्मक बदलाव आये हैं। 

खासकर ये बदलाव विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्रवाद के बगैर आगे नहीं बढ़ा। अचानक ही भारतीयों का मनोबल बढा है। घरेलू स्तर पर विवाद हैं लेकिन विदेशों में रहने वाले बहुत उत्साहित हैं। श्री रे ने कहा कि वे किसी प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी नहीं कर रहे लेकिन उनके मुताबिक किसी भी देश के संपन्न होने के लिए , वहां के नागरिकों को खुद पर भरोसा रखना होता है। उन्हें गर्व करना होता है और इसी कारण थोडा सा राष्ट्रवादी होना हमेशा अच्छा है। अब ऐसा भारत में भी दिखने लगा है। यह भावना पहले नहीं थी। कम से कम कुछ भारतीयों में यह राष्ट्रवादी भावना कूट-कूट कर भरी है। इसे मैंने कभी भी विदेशों में रहने वाले भारतीयों में नहीं देखा था। श्री रे ने कहा कि पहली बार भारतीयों को खुद पर भरोसा हो रहा है-यहां तक कि खाड़ी देशों और अन्य जगहों में रहने वालों को भी। हाल में जब श्री मोदी संयुक्त अरब अमीरात गये तो तेल कंपनियों के मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया। कभी भी किसी देश के प्रमुख का इस तरह स्वागत नहीं किया गया था। 

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