महावीर के सिद्धान्त पर चलकर ही सन्तुलित समाज की रचना संभवः पासवान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 2 जुलाई 2017

महावीर के सिद्धान्त पर चलकर ही सन्तुलित समाज की रचना संभवः पासवान

mahaveer-way-for-socity-paswaan
नई दिल्ली, केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री रामविलास पासवान ने गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् नित्यानंद सूरीश्वरजी के दीक्षा के 50 वर्ष की संपन्नता पर संयम तप अर्धशताब्दी महोत्सव समारोह में बोलते हुए कहा कि भगवान महावीर के समता के सिद्धान्त पर चलकर ही सन्तुलित एवं आदर्श समाज की रचना हो सकती है।  आचार्य श्रीमद् नित्यानंद सूरीश्वरजी भगवान महावीर के सिद्धान्तों को जन-जन के बीच पहुुंचाने का पिछले पचास वर्षो से  महान् कार्य कर रहे हैं। श्री पासवान तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में देशभर से आए हजारों श्रद्धालुजनों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। वे राष्ट्रीय संयम तप अर्धशताब्दी महोत्सव महासमिति के अध्यक्ष भी है। उन्होंने आगे कहा कि आज के हिंसा, आतंकवाद एवं नक्सलवादी माहौल में अहिंसा को स्थापित किया जाना जरूरी है और यह कार्य जैन समाज के आचार्य एवं संत प्रभावी ढंग से कर सकते हैं। श्री पासवान ने आचार्य नित्यानन्दजी को उनके संयम जीवन के पचास वर्ष की पूर्णता पर बधाई दी। समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में जैन समाज की महत्वपूर्ण भूमिका है। संतो ंके बताये मार्ग पर चलकर ही हम वास्तविक उन्नति कर सकते हैं। श्री नकवी ने जैन समाज के अधिकारों की रक्षा का आश्वासन देते हुए कहा कि आचार्य नित्यानन्दजी जैसे महान् संतों का सान्निध्य मिलना सौभाग्य की बात है। उन्होंने समाज की बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रतीकों को जीवंतता प्रदान की है। उनके पचास वर्ष के संयम जीवन की सम्पन्नता पर आयोजित वर्षभर के कार्यक्रमों से राष्ट्र एवं समाज को जोड़ने का सन्देश जायेगा।

गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् नित्यानंद सूरीश्वरजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का यह समारोह संत, सत्ता एवं सम्पत्तिवान लोगों का एक समागम है, एक आदर्श और संतुलित समाज को निर्मित करने में इन तीनों को समन्वित रूप से प्रयत्नशील होना होगा, तभी समतामूलक समाज की रचना हो सकेंगी। उन्होंने बिहार में महावीर की पवित्र भूमि लच्छवाड में  महावीर विश्वविद्यालय बनाये जाने की आवश्यकता व्यक्त की। सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय ने आचार्य नित्यानन्द सूरीजी के सान्निध्य में चल रहे कार्यक्रमों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि केवल आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि सांसारिक जीवन को उन्नत बनाने के लिये आचार्यजी ने व्यापक प्रयत्न किये हैं। गणि राजेन्द्र विजयजी ने कहा कि  गौ सेवा, गौ रक्षा तथा गौ संवर्धन एक तपस्या है, गौ भक्तों, समाज शास्त्रियों, राजनेताओं के साथ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को एक साथ गौ रक्षा के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि गाय जोड़ती है, तोड़ती नहीं। सच्चा गौरक्षक कभी भी किसी भी जीव की हिंसा नहीं कर सकता। 
भाजपा प्रवक्ता  श्री सुधांशु त्रिवेदी ने आचार्य नित्यानंदजी के अवदानों की चर्चा करते हुए संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंतता प्रदान करने में आचार्यजी के द्वारा किये गये प्रयासों को उल्लेखनीय बताया। इस अवसर पर संसद सदस्य श्री रामसिंह राठवा, सांसद श्री मनसुख भाई वसावा, सांसद श्री अर्जुन मीणा, सांसद श्री चिराग पासवान, श्री एस.एम. खान- रजिस्ट्रार आफ न्यूज पेपर फाॅर इंडिया, अमर उजाला के सम्पादक श्री विनोद अग्निहोत्री, पंजाब केसरी के अध्यक्ष श्री स्वदेशभूषण जैन, समाजसेवी एवं राजनेता श्री राजकुमार शर्मा,  उदय इंडिया के सम्पादक श्री दीपक रथ, श्री बबलू पंडित,  सेठ आनन्दजी कल्याण पेढी के अध्यक्ष सेठ संवेगभाई ए. लालभाई,  जैनसभा-दिल्ली के अध्यक्ष श्री रतन जैन आदि ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए आचार्य नित्यानन्द सूरीजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि आचार्य नित्यानंदजी ने संस्कृति के उत्थान, राष्ट्रीय एकता, नैतिक मूल्यों के जागरण, नशामुक्ति, साम्प्रदायिक सद्भावना के लिए उल्लेखनीय उपक्रम किए हैं। मुनि श्री मोक्षानन्द विजयजी ने अपना उद्बोधन दिया। समारोह में तपस्वी सम्राट आचार्य श्री विजय वसन्त सूरीजी, आचार्य श्री विजय जयानन्द सूरीजी, आचार्य श्री विजय चिदानन्द सूरीजी  एवं आचार्य श्री पूर्णचन्द्र सूरीजी  आदि ने सान्निध्य प्रदत्त किया। अखिल भारतीय संयम तप अर्द्धशताब्दी महोत्सव समिति की ओर से आचार्यजी को काम्बली ओढ़ाई गयी। कार्यक्रम का संयोजन श्री अशोक जैन, श्री ओम आचार्य एवं श्री दीपक जैन ने किया। 

कोई टिप्पणी नहीं: